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बुलढाणा: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है। निर्वाचन आयोग ने 26 नवंबर से पहले नई सरकार के गठन का वादा किया है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनाव परिणाम आने के बाद अब किसी भी क्षण महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता हैं। ऐसे में सभी दलों ने अपने-अपने हिस्से की तैयारियां शुरू कर दी। गठबंधनों में सीट बंटवारे पर घमासान मचा है तो कुछ नेता अपने लिए बेहतर विकल्प की तलाश में जुट गए हैं।
इस चुनावी माहौल को देखते हुए हम भी अपने हिस्से की तैयारी में जुट गए हैं और आपके लिए महाराष्ट्र के 288 विधानसभा सीटों का विश्लेषण कर आप तक पहुंचा रहे हैं। इसी कड़ी में आज बात होगी बुलढाणा जिले की उस सीट की जिसका इतिहास तो पुराना है पर 1957 में इसे भंग कर दिया गया था। वहीं 2008 में इस सीट को फिर से एक बार स्थापित किया गया
जलगांव (जामोद) विधानसभा सीट बुलढाणा जिले में स्थित है साथ ही यह बुलढाणा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। यह सीट पहले अस्तित्व में थी लेकिन 1957 में मुंबई राज्य के चुनावों के लिए इसे भंग कर दिया गया था। 2008 में हुए परिसीमन के बाद जलगांव (जामोद) विधानसभा सीट को एक बार फिर से अस्तित्व में लाया गया।
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परिसीमन के बाद इस सीट पर 2009 से अब तक तीन विधानसभा चुनाव हुए। तीनों विधानसभा चुनाव में भाजपा के संजय कुटे को यहां से जीत मिली हैं। पहले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। लेकिन 2019 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने वोट शेयर बढ़ा जिससे वह दूसरे नंबर पर रही।
जलगांव (जामोद) सीट पर 2019 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक कुल 2 लाख 89 हजार 736 मतदाता है। जिसमें से दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 45,771 है जो कि 15.65 फीसदी के आसपास है। 33,136 आदिवासी मतदाता है जो 11.33 फीसदी है। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या लगभग 13 प्रतिशत हैं।
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2008 परिसीमन के बाद से जलगांव (जामोद) विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। इस बार भाजपा इसे बरकार रखना चाहेगी। वहीं पिछली बार तीसरे से दूसरे नंबर पर आई कांग्रेस इस बार एक नंबर पर आने के लिए बेकरार होगी। वहीं इस पर प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी भी रेस में होगी। ऐसे में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही है।