कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Kusheshwar Asthan Assembly Constituency: बिहार के दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट आगामी चुनाव में एक बार फिर सियासी चर्चा का केंद्र बन गई है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट मिथिला की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक आस्था और पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ देने वाली है।
इस क्षेत्र की पहचान बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर से जुड़ी है, जिसकी स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश द्वारा किए जाने की मान्यता है। सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर परिसर में स्थित चंद्रकूप और तीन नदियों के संगम पर बना यह स्थल धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
कुशेश्वरस्थान पक्षी अभयारण्य इस क्षेत्र को पर्यावरणीय दृष्टि से भी खास बनाता है। 1994 में स्थापित यह संरक्षित आर्द्रभूमि सर्दियों में साइबेरियन क्रेन, डल्मेशियन पेलिकन और बार-हेडेड गूज जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल बनती है। यह अभयारण्य न केवल जैव विविधता का केंद्र है, बल्कि पर्यटन की संभावनाओं को भी बढ़ाता है।
भौगोलिक रूप से कुशेश्वरस्थान एक निचला क्षेत्र है, जो हर साल कोसी और अन्य नदियों की बाढ़ से प्रभावित होता है। यहां की मुख्य आजीविका खेती है, जिसमें धान, मक्का, मसूर और सरसों जैसी फसलें प्रमुख हैं। पशुपालन और डेयरी भी अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, लेकिन बार-बार आने वाली बाढ़ और उद्योगों की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं।
राजनीतिक दृष्टि से यह सीट पिछले डेढ़ दशक से हजारी परिवार के प्रभाव में रही है। 2010 में शशिभूषण हजारी भाजपा से विधायक बने, लेकिन 2015 में जदयू में शामिल होकर दोबारा जीत हासिल की। 2020 में उन्होंने फिर जीत दर्ज की और 2021 में उनके निधन के बाद उपचुनाव में उनके बेटे अमन भूषण हजारी ने जदयू की सीट बचाए रखी। यह सिलसिला जदयू के लिए इस क्षेत्र को मजबूत किला साबित करता है।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 4,42,437 है। इसमें पुरुषों की संख्या 2,30,195 और महिलाओं की संख्या 2,12,242 है। कुल मतदाताओं की संख्या 2,62,119 है, जिनमें पुरुष मतदाता 1,37,297, महिला मतदाता 1,24,818 और थर्ड जेंडर मतदाता 4 हैं। महिलाओं की भागीदारी यहां चुनावी परिणामों को प्रभावित करने वाली मानी जाती है।
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2025 के चुनाव में जदयू अपनी लगातार जीत और संगठनात्मक मजबूती के आधार पर बढ़त बनाती दिख रही है। अमन भूषण हजारी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन विपक्ष भी इस बार पूरी तैयारी में है। राजद, कांग्रेस और अन्य दल यहां समीकरण बदलने की कोशिश में जुटे हैं।
कुशेश्वरस्थान की जनता की प्राथमिकताएं साफ हैं। बाढ़ नियंत्रण, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और रोजगार के अवसर। युवा वर्ग बेहतर शिक्षा और स्थायी रोजगार की मांग कर रहा है, जबकि महिलाएं स्वास्थ्य सुविधाओं और सुरक्षा को लेकर सजग हैं। इन मुद्दों पर किस दल की रणनीति असरदार साबित होगी, यह चुनावी नतीजों में साफ होगा।
कुशेश्वरस्थान विधानसभा चुनाव 2025 में धार्मिक आस्था, पर्यावरणीय संकट और राजनीतिक विरासत की त्रिवेणी पर टिकी जनता की उम्मीदें तय करेंगी कि जदयू का गढ़ बरकरार रहेगा या कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिलेगा। यह सीट मिथिला की सियासी दिशा को प्रभावित करने वाली साबित हो सकती है।