मुंबई: दहिसर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए अहम सीट है। क्योंकि पिछले दो चुनावों में मनीषा चौधरी ने बीजेपी के लिए यहां से जीत हासिल की है। 2019 में मनीषा चौधरी ने कांग्रेस के अरुण सावंत को हराया था और 2014 में शिवसेना के विनोद घोसालकर को हराया था। क्या मनीष चौधरी सीट से इस बार अपनी हैट्रिक पूरी कर पाएंगी या फिर शिवसेना को सिंपैथी का फायदा मिलेगा।
दहिसर विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। है ऐसे में इसका ज्यादा पुराना रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन 2009, 2014 और 2019 के चुनावों का आंकड़ा अगर देखे तो 2009 में विनोद घोसालकर ने शिवसेना की तरफ से सीट पर जीत हासिल की थी। 2014 और 2019 के चुनावों में मनीषा चौधरी बीजेपी के लिए जीत हासिल की।
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दहिसर विधानसभा सीट का इतिहास
दहिसर विधानसभा सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। नई सीट पर मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही देखने को मिला है। महाराष्ट्र में दो बड़ी राजनीतिक पार्टी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस में हुए दो फाड़ के कारण राज्य भर में कन्फ्यूजन की स्थिति देखने को मिल रही है। इस सीट पर बीजेपी की मनीषा चौधरी ने 2019 में जब जीत हासिल की थी तब अब विभाजित शिवसेना बीजेपी के साथ थी। लेकिन 2014 में जब मनीषा चौधरी ने बीजेपी के लिए जीत हासिल की थी तो शिवसेना बीजेपी के साथ नहीं थी जबकि इस सीट से शिवसेना के उम्मीदवार विनोद घोसालकर ने भी अपनी ताल ठोकी थी और उन्हें हर का सामना करना पड़ा था।
बीजेपी का पलड़ा भारी है
शिवसेना की बगावत का बीजेपी पर कोई असर इस सीट पर दिखाई नहीं पड़ा, ऐसे नहीं कहा जा सकता है कि इस सीट पर फिलहाल के लिए बीजेपी का पलड़ा भारी है। लेकिन विनोद घोसालकर के बेटे की हत्या की वजह से शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ सिंपैथी है। वहीं शिंदे गुटके विद्रोह के कारण ठाकरे की शिवसेना के साथ सिंपैथी वोट का फैक्टर भी इस सीट पर काम कर सकता है, मतलब अगर विनोद घोसालकर इस सीट से उम्मीदवार होते हैं तो मनीषा चौधरी के लिए दिक्कत हो सकती है।
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कब किसने मारी बाजी
2019: चौधरी मनीषा अशोक, भाजपा
2014: चौधरी मनीषा अशोक, भाजपा
2009: घोसालकर विनोद रामचंद्र, एसएचएस
दहिसर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
दहिसर विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 2,47,979 है। दहिसर विधानसभा सीट में 100 फीसदी शहरी आबादी है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या यहां पर 4.5 प्रतिशत के आसपास है। मुस्लिम वोटर की संख्या 6 फीसदी है। यह एक साधारण सीट है और यहां पर यंगस्टर्स की संख्या अधिक है। ऐसे में उम्मीदवार को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए युवाओं को रिझाना बेहद जरूरी है।