देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा का महासंग्राम मंगलवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही शुरू हो गया है। इस चुनावी महासमर के लिए सीटों के बंटवारे की अधिकृत घोषणा अभी तक किसी भी सियासी गठबंधन ने नहीं की है। हालांकि राज्य की सत्तारूढ़ महायुति सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 99 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची रविवार को जारी कर दी थी। इस सूची में मुंबई के तीन विधायकों सहित महाराष्ट्र के करीब 28 मौजूदा विधायकों का नाम नदारद था। तो वहीं इस बार चुनाव लड़ने की इच्छा रखनेवाले दूसरे पदाधिकारियों को भी लिस्ट में उनका नाम नहीं होने के कारण झटका लगा है।
ऐसे में दूसरे इच्छुकों के साथ-साथ एक बार फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले मौजूदा 28 विधायकों में से ज्यादातर को देवा भाऊ यानी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से ही आखिरी उम्मीद है। इसलिए मंगलावर को बड़ी संख्या में इच्छुक देवा भाऊ के सरकारी निवास ‘सागर’ और ‘मेघदूत’ बंगले पर पहुंच गए। ये सभी मानो देवा भाऊ से यही पूछ रहे थे कि हमसे क्या भूल हुई? और टिकट दिलाने की गुहार लगा रहे थे।
बीजेपी की पहली सूची में कुछ मौजूदा विधायकों का पता कट गया तो वहीं कुछ को वेटिंग में डाल दिया गया। ऐसे में अंधेरी पूर्व से इच्छुक मुरजी पटेल, वर्सोवा की विधायक भारती लवेकर सहित भीमराव तपकीर, बबनराव पचपुते आदि इच्छुक फडणवीस से ‘सागर’ बंगले पर मिलने पहुंचे, जबकि विधायक सत्यजीत तांबे ने ‘मेघदूत’ बंगले पर मुलाकात की।
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गौरतलब हो कि अंधेरी-पूर्व से 2019 में शिवसेना के रमेश लटके चुनाव जीतकर विधान परिषद में पहुंचे थे। 2021 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत और विभाजन के दौरान लटके उद्धव के प्रति निष्ठावान बने रहे। इसके कुछ दिनों बाद रमेश लटके के निधन की वजह से हुए उप चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) ने रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा को उम्मीदवार बनाया।
ऋतुजा के खिलाफ बीजेपी ने पहले मुरजी पटेल को टिकट दिया था। पटेल ने उम्मीदवारी का पर्चा भी भरा था लेकिन बाद में पार्टी ने उन्हें अपना नामांकन वापस लेने को कह दिया था। पटेल को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें पार्टी का टिकट मिल जाएगा लेकिन सीटिंग विधायक के फॉर्मूले के तहत अंधेरी पूर्व की सीट शिवसेना (शिंदे गुट) के खाते में जाएगी।
बीजेपी ने दिंडोशी के बदले अंधेरी-पूर्व सीट बदलने का प्रस्ताव शिंदे गुट को दिया है लेकिन शिंदे गुट में अंधेरी पूर्व से मुंबई पुलिस के सेवानिवृत्त एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की पत्नी को उम्मीदवारी देने की तैयारी चल रही है। मंगलवार को आखिरी उम्मीद के रूप में पटेल, फडणवीस से मिलने पहुंचे थे।
वर्सोवा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी की विधायक भारती लवेकर का टिकट कटने की चर्चा पहले से ही चल रही थी। बताया जा रहा है कि बीजेपी के इंटरनल सर्वे की रिपोर्ट में लवेकर का प्रदर्शन निराशाजनक पाया गया था। जबकि वर्सोवा से पार्टी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ता संजय पांडे भी जोर लगा रहे हैं। ऐसे में पार्टी ने पहली लिस्ट में वर्सोवा से उम्मीदवारी घोषित नहीं किया है। इसलिए लवेकर आखिरी प्रयास करते हुए सागर बंगले पर फडणवीस से मिलने पहुंची थीं।
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कुछ ऐसा ही हाल पहली सूची में जगह पाने में नाकाम रहे राज्य के दूसरे विधायकों एवं इच्छुकाें का भी है। ऐसे ही लोगों में एक नाम पुणे के खडकवासला से मौजूदा विधायक भीमराव तपकिर का है। तपकिर भी सागर फडणवीस से मिलने पहुंचे थे।
वहीं मावल के विधायक सुनील शेलके के खिलाफ बीजेपी के बाला भेगडे ने भी फडणवीस से मुलाकात की। जबकि बबनराव पाचपुते अपने बेटे विक्रम सिंह को उम्मीदवारी दिलाने के लिए अपनी पत्नी प्रतिभा के साथ फडणवीस से मिलने सागर पहुंचे थे। पार्टी ने प्रतिभा पाचपुते को उम्मीदवार घोषित किया है। पाचपुते दंपति इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनकी जगह बेटे विक्रम सिंह को उम्मीदवारी दी जाए।
दूसरी तरफ नासिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधायक सत्यजीत तांबे के फडणवीस से मिलने के लिए पहुंचने से क्षेत्र के दूसरे नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। हालांकि मेघदूत बंगले फडणवीस से मिलने पहुंचे तांबे ने कहा कि वह भंडारदरा बांध से जुड़े कुछ काम के सिलसिले में आए थे।
इसी तरह मालाड-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से पूर्व नगरसेवक विनोद शेलार को उम्मीदवारी दिए जाने पर पार्टी के क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने नाराजगी जताई है। पदाधिकारियों ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखा है। गौरतलब हो कि विनोद बीजेपी के मुंबई प्रदेश अध्यक्ष व बांद्रा-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक व उम्मीदवार आशीष शेलार के बड़े भाई भी हैं।
2024 में बीजेपी में 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी चल रही है। लेकिन देश और दुनिया की सबसे बड़ी तथा अमीर राजनीतिक पार्टी होने के कारण बीजेपी में इच्छुकों की संख्या बहुत ज्यादा है। भले ही 2019 में बीजेपी के 105 उम्मीदवार चुनाव जीते थे और बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी थी।
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में पार्टी के प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इस वजह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर टिकट के बंटवारे के दौरान चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले पार्टी के पुराने निष्ठावान और दूसरे दलों से पार्टी में आए नेताओं के बीच तालमेल बैठाने का जबरदस्त दबाव है। ऐसे महाराष्ट्र में पार्टी को इच्छुकों की नाराजगी से बचाने यानी संभावित बगावत रोकने की जिम्मेदारी देवेंद्र फडणवीस पर आ गई है।