बिहार विधानसभा सीट, (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक हलकों में एक महत्वपूर्ण आरक्षित सीट बन गया है। हरसिद्धि और तुरकौलिया प्रखंडों से मिलकर बनी इस सीट का गठन 1951 में हुआ था। वर्ष 2008 के परिसीमन आयोग की सिफारिश पर यह सीट सामान्य वर्ग से बदलकर अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित कर दी गई, जिसके बाद से यहां तीन बार चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में मुख्य रूप से भाजपा और राजद आमने-सामने रहे हैं। यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है, जहां की राजनीति में जातिगत समीकरण और गठबंधन की स्थिति निर्णायक भूमिका निभाती है।
इस सीट पर शुरुआती दशकों में कांग्रेस का बोलबाला रहा। पहले दस चुनावों में से आठ पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया। इस क्षेत्र की राजनीति में मोहम्मद हिदायतुल्लाह खान का नाम विशेष महत्व रखता है, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चार बार जीत दर्ज की और विधानसभा अध्यक्ष के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। 1990 के दशक में जनता दल ने और 2005 के दोनों चुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी ने यहां सफलता हासिल की।
आरक्षित सीट बनने के बाद हाल के वर्षों में मुकाबला कड़ा हुआ है। साल 2010 और 2020 में भाजपा के कृष्णानंदन पासवान ने जीत हासिल की। वहीं 2015 में राजद उम्मीदवार राजेंद्र कुमार से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
हरसिद्धि के नतीजों ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की किंगमेकर वाली भूमिका को उजागर किया है। भाजपा की जीत (2010 और 2020) तब हुई, जब जदयू उसके साथ गठबंधन में थी, जबकि 2015 में जब जदयू, राजद गठबंधन के साथ थी, तब राजद ने सीट जीती। यह दिखाता है कि यह सीट NDA गठबंधन की संगठनात्मक शक्ति और वोटों के हस्तांतरण पर बहुत अधिक निर्भर करती है। दिलचस्प बात यह भी है कि आरक्षित सीट बनने के बाद राजद ने हर बार नया उम्मीदवार उतारा है, जबकि भाजपा कृष्णानंदन पासवान पर भरोसा करती रही है।
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के लिए चिंता का विषय बन गई है। पूर्वी चंपारण से भाजपा के वरिष्ठ नेता राधा मोहन सिंह सांसद तो बने, लेकिन हरसिद्धि विधानसभा खंड में उन्हें महागठबंधन समर्थित विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राजेश कुशवाहा से पीछे रहना पड़ा। लोकसभा चुनाव का यह परिणाम राजद गठबंधन के लिए उत्साहजनक माना जा रहा है और यह संकेत देता है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला एकतरफा नहीं होगा।
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2024 तक हरसिद्धि विधानसभा में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2.78 लाख हो गई है। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यहां 43,000 से अधिक अनुसूचित जाति और करीब 50,000 मुस्लिम मतदाता शामिल हैं, जो चुनावी समीकरण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2025 का विधानसभा चुनाव हरसिद्धि में कड़ा और दिलचस्प संघर्ष लेकर आएगा। भाजपा यहां अपनी मजबूत पैठ को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, वहीं राजद गठबंधन लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को भुनाने और आरक्षित सीट पर जीत दर्ज करने के लिए पूरा ज़ोर लगाएगा।