मनीष सिसोदिया जेल से रिहा (फोटो: ANI)
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शराब घोटाला मामले में सिसोदिया को जमानत दे दी है। कोर्ट ने जमानत याचिका पर 5 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
मनीष सिसोदिया का स्वागत करने के लिए जेल के बाहर दिल्ली की मंत्री आतिशी, आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह समेत पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता इकठ्ठा हुए। इस दौरान सिसोदिया को देखकर आतिशी के आंसू निकल आए। बताया जा रहा है कि सिसोदिया जेल से सीधे अरविंद केजरीवाल के घर जाने वाले हैं।
#WATCH | Former Delhi Deputy CM and AAP leader Manish Sisodia walks out of Tihar Jail. He was granted bail in Delhi excise policy case by Supreme Court today. pic.twitter.com/pBEEkvQZXz
— ANI (@ANI) August 9, 2024
जेल से बाहर आने के बाद सिसोदिया ने कहा, “आप सभी के प्यार, ईश्वर के आशीर्वाद और सत्य की शक्ति और सबसे बड़ी बात बाबा साहब के उस सपने की वजह से मैं जेल से बाहर आया हूं कि अगर कोई तानाशाह सरकार सत्ता में आती है और तानाशाही कानून बनाकर विपक्षी नेताओं को जेल में डालती है तो इस देश का संविधान उनकी रक्षा करेगा। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि संविधान की इसी शक्ति से अरविंद केजरीवाल भी जेल से बाहर आएंगे।”
#WATCH | AAP leader Manish Sisodia says, “I have come out of jail due to your love, God’s blessings & power of truth, and biggest of all, the dream of Babasaheb that if any dictatorial government comes to power and puts Opposition leaders behind bars by forming dictatorial laws,… pic.twitter.com/DCHDuVYGyE
— ANI (@ANI) August 9, 2024
गौरतलब है कि सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी 2023 को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। बाद में यह नीति रद्द कर दी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें धनशोधन के मामले में नौ मार्च 2023 को गिरफ्तार किया था। धनशोधन का यह मामला सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़ा था। सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
यह भी पढ़ें: मनीष सिसोदिया की जमानत को लेकर कैमरे के सामने रो पड़ी आतिशी, कोर्ट के फैसले को बताया सच्चाई की जीत
उपरोक्त दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जमानत मिलने पर आज 10 लाख रुपये के जमानती बॉण्ड और इतनी ही धनराशि के दो निजी मुचलके भरने के बाद वह जेल से बाहर आए हैं। न्यायाधीशों ने जमानत की शर्तें तय करते हुए कहा कि उन्हें अपना पासपोर्ट विशेष अधीनस्थ न्यायालय में जमा कराना होगा। इसके अलावा वह न तो किसी गवाह को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे और न ही सबूतों से छेड़छाड़ करेंगे। साथ ही उन्हें प्रत्येक सोमवार और बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष पेश होना होगा।
पीठ ने कहा, “हमने पाया है कि लगभग 17 महीने की लंबी कैद और मुकदमा शुरू न होने के कारण अपीलकर्ता (सिसोदिया) को शीघ्र सुनवाई के उनके अधिकार से वंचित किया गया है।” पीठ ने कहा, “इस अदालत का मानना है कि शीघ्र सुनवाई का अधिकार और स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र अधिकार हैं। इन अधिकारों से इनकार करते समय, निचली अदालतों के साथ-साथ उच्च न्यायालय को भी इस बात को उचित महत्व देना चाहिए था।”
पीठ ने पिछले निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि समय के साथ न्यायालय ने पाया कि निचली अदालतें और उच्च न्यायालय कानून के एक बहुत ही स्थापित सिद्धांत को भूल गए हैं कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जानी चाहिए। पीठ ने कहा, “हमारे अनुभव से हम कह सकते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि निचली अदालतें और उच्च न्यायालय जमानत देने के मामले में बचने का प्रयास करते हैं। यह सिद्धांत कि जमानत एक नियम है और इनकार एक अपवाद है, कभी-कभी इसका उल्लंघन किया जाता है।”
यह भी पढ़ें: केजरीवाल को मिलेगी क्लीन चीट! जमानत के खिलाफ ED की याचिका पर आज दिल्ली HC में होगी सुनवाई
पीठ ने कहा कि सीधे सरल और पेचीदा मामलों में भी जमानत न दिए जाने के कारण सर्वोच्च न्यायालय में जमानत याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई है। इससे लंबित मामलों की संख्या और बढ़ गई है। न्यायाधीशों ने कहा कि मुकदमे के शीघ्र पूरा होने की संभावना के तहत सिसोदिया को असीमित समय तक जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा।
अदालत ने कहा, “मौजूदा मामले में अपीलकर्ता (सिसोदिया) की समाज में गहरी पैठ है। उसके देश से भागने और मुकदमे का सामना करने के लिए उपलब्ध न होने की कोई संभावना नहीं है। किसी भी मामले में, अभियोजन की चिंताओं को दूर करने के लिए शर्तें लगाई जा सकती हैं।” पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें इन दोनों मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं। (एजेंसी इनपुट के साथ)