जस्टिस वर्मा के मामले में कपिल सिब्बल
नई दिल्ली : जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जांच रिपोर्ट पब्लिक करने को राज्य सभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया है। जस्टिस वर्मा कथित कैश कांड मामले की आंतरिक जांच रिपोर्ट को इस तरह सार्वजनिक करने का सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ‘खतरनाक मिसाल’ है।
जस्टिस वर्मा के नई दिल्ली आवास पर 14 मार्च को आग लगने के बाद एक कमरे से कथित तौर पर करोड़ों की नकदी बरामद हुई थी। इस घटना के बाद से विवाद गहराया और जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। इलाहाबार बार एसोसिएशन उनके इलाहाबाद ट्रांसफर का विरोध कर रहा है। मामले की जांच को लेकर सीजेआई संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा केस में दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से इंटरनल जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय के साथ भी वीडियो और तस्वीरें शेयर कर अपलोड की गईं। कपिल सिब्बल ने इस पर कहा कि ये बेहद खतरनाक मिसाल है और मुझे लगता है कि संस्था को ऐसे प्रकरण में लिखित तंत्र को स्थापित करना चाहिए। मामले में बार एसोसिएशन के साथ चर्चा करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला खतरनाक उदाहरण स्थापित कर रहा है।
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कपिल सिब्बल ने कहा कि जस्टिस वर्मा मामले में कोर्ट की ओर से ऐसे दस्तावेज सार्वजनिक करने का निर्णय सही था या गलत ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन ये उनकी समझ से परे है। उन्होेंने कहा कि जब कोर्ट स्वयं किसी दस्तावेज का सोर्स होता है तो अधिक विश्वसनीय होता है। कोर्ट को ऐसा तरीका अपनाना चाहिए जो कि लिखित तौर पर उपलब्ध रहे। कोर्ट को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि इस प्रकार के मामलों से कैसे निपटाया जाए।