सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट (सौजन्य- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति घोटाले के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया। दिल्ली हाई कोर्ट ने कथित आबकारी नीति घोटाले के संबंध में ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी।
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के मुताबिक, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ मंगलवार को सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को बड़ा झटका देते हुए उच्च न्यायालय ने 21 मई को कथित घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज अलग-अलग मामलों में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि यह मामला उनकी ओर से सत्ता का गंभीर दुरुपयोग किए जाने और जनता से विश्वासघात से जुड़ा है।
मनीष सिसोदिया फरवरी 2023 से जेल में बंद है और ईडी ने पिछले साल 9 मार्च को दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को इससे पहले CBI ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (जीएनसीटीडी) की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले की जांच के दौरान अरेस्ट किया था।
दिल्ली की शराब नीति
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को राज्य में नई शराब नीति लागू की थी। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इससे पहले दिल्ली में मौजूद शराब की 60 फीसदी दुकानें सरकारी और 40 फीसदी प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 फीसदी दुकानों को प्राइवेट करनी थी। नीति बदलने को लेकर दिल्ली सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।
(एजेंसी- इनपुट के साथ)