दिल्ली की सियासी जंग में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं। जिसमें कई बड़ी पार्टी जैसे कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के अलावा कई स्थानीय पार्टियां भी शामिल हैं।
दिल्ली की सियासी जंग में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं। जिसमें कई बड़ी पार्टी जैसे कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के अलावा कई स्थानीय पार्टियां भी शामिल हैं। तो वहीं कुछ पार्टियां ऐसी भी होती हैं जो सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने के लिए बड़े दलों का खेल खराब कर सकती हैं। जिसकी वजह से बड़ी पार्टियों को गठबंधन का सहारा लेना पड़ता है।
दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद चुनाव प्रचार जोरों पर है। सभी राजनीतिक पार्टियां 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में सरकार बनाने की पूरी कोशिश में जुटे हुए हैं। इस बार दिल्ली में एक चरण में मतदान कराए जा रहे हैं। बता दें कि दिल्ली चुनाव 5 फरवरी को होने हैं और मतों की गणना 8 फरवरी होगी।
चुनाव आयोग के अनुसार 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 95 पार्टियों ने भाग लिया था। जिसमें कांग्रेस, बीजेपी, बीएसपी, सीपीएम, सीपीआई और एनसीपी समेत दिल्ली की क्षेत्रीय पार्टी भी शामिल थी। दिल्ली में सत्ता में पिछले 10 सालों से आम आदमी पार्टी काबिज है।
दिल्ली चुनावी जंग में कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो खेल बिगाड़ने का काम कर सकती हैं। जिसमें राष्ट्रीय पार्टी बहुजन समाज पार्टी है। बीएसपी इस बार भी दलित सीटों पर मजबूती से टिकी हुई है। बता दें कि दिल्ली में 12 सीटें दलित समुदाय के लिए रिजर्व है। जो दिल्ली की आबादी का करीब 17 प्रतिशत है।
बीएसपी के अलावा दिल्ली में शिअद भी खेल खराब करने में अहम भूमिका निभा सकती है। सिख बहुल सीटों पर इस पार्टी का प्रभाव ज्यादा है। साल 2015 में 2 सीटों पर शिअद रही थी। वहीं दिल्ली में सिख मतदाताओं की संख्या करीब 4 प्रतिशत है।
बिहार की राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और लोजपा दिल्ली की सियासत पर प्रभाव डाल सकते हैं। साल 2020 में हुए चुनावों में बीजेपी ने लोजपा और जेडीयू से समझौता किया था। वहीं कांग्रेस ने आरजेडी के साथ समझौता किया था।