पश्चिम बंगाल से पश्चिमी यूपी के मेलों तक नकली करेंसी का नेटवर्क ध्वस्त (कॉन्सेप्ट फोटो- एआई)
Fake currency network expose: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े मेलों, विशेषकर गंगा मेलों को निशाना बनाकर नकली भारतीय मुद्रा (FICN) खपाने की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। यह नकली करेंसी पश्चिम बंगाल के मालदा से लाई जा रही थी और इसे पश्चिमी यूपी के बाजारों में 70 फीसदी तक के भारी मुनाफे पर चलाने की योजना थी।
अलीगढ़ पुलिस ने दिल्ली गेट इलाके से नकली करेंसी के एक सक्रिय तस्कर को 2.17 लाख रुपये के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया है। आरोपी से पूछताछ में पता चला है कि इस नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य अमरोहा के तिगरी और हापुड़ में लगने वाले बड़े गंगा मेलों में इन नोटों को खपाना था।
घटनाक्रम शुक्रवार रात करीब 9 बजे का है, जब दिल्ली गेट के खैर रोड स्थित सुअल्ला मार्केट में एक युवक को जनसंख्या केंद्र पर ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करते समय संदिग्ध गतिविधि करते देखा गया। स्थानीय लोगों की सूचना पर तत्काल पुलिस टीम ने दबिश दी और आरोपी को धर दबोचा।
पूछताछ में आरोपी ने अपनी पहचान हसन के रूप में बताई, जो पश्चिम बंगाल के कासिमगंज क्षेत्र के गणेशपुर ढाका का निवासी है और वर्तमान में अलीगढ़ के देहली गेट इलाके में अपनी ससुराल में रहता है। एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक और सीओ प्रथम मयंक पाठक ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की।
आरोपी हसन ने खुलासा किया कि इस नेटवर्क के जरिए वह अब तक दो खेपों में लगभग 20 लाख रुपये की नकली करेंसी पश्चिमी यूपी के बाजारों में सफलतापूर्वक खपा चुका है। इस बार वह 10 लाख रुपये की जाली करेंसी लेकर आया था, जिसमें से 3 लाख रुपये के नकली नोट उसे मिले थे।
हसन पहले भी नकली नोटों के साथ पकड़ा गया था, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद उसने फिर से यही धंधा शुरू कर दिया। पुलिस टीम लगातार उस पर नजर रखे हुए थी।
हसन ने पूछताछ में नेटवर्क के गहरे कनेक्शन का खुलासा किया। उसने बताया कि पटना के सदस्य भाग कासिम के दोस्त वारिक के कहने पर वह लालच में आकर इस धंधे में शामिल हुआ। वारिक की मदद से ही वह पश्चिम बंगाल के मालदा जाकर नकली नोट लेकर आता था।
मालदा में उसकी मुलाकात जुबैर नामक व्यक्ति से हुई, जो उसे नकली नोट उपलब्ध कराता था। एक और महत्वपूर्ण कड़ी जेल में बनी, जब हसन की मुलाकात मुकेश उर्फ अमन से हुई। जमानत पर बाहर आने के बाद मुकेश ने ही उसे यह धंधा जारी रखने के लिए बाइक और मोबाइल उपलब्ध कराया। बाद में वारिक ने उसे अधिक नकली नोट मालदा से लाने के लिए दिए। गिरफ्तारी वाले दिन हसन को जुबैर द्वारा भेजे गए मालदा के व्यक्ति के क्यूआर कोड में एडवांस के रूप में रुपये डालने थे, जो उसे नकली नोटों की डिलीवरी के लिए भेजने थे। तभी पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार हसन के साथी वारिक और जिकरूल भी इस नेटवर्क के सक्रिय सदस्य हैं, जो पिछले कुछ समय से 20 लाख की नकली करेंसी ला चुके हैं। कुछ करेंसी अभी वारिक के पास होने की सूचना है।
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एसपी सिटी ने बताया कि अब वारिक और मुकेश की तलाश तेजी से की जा रही है। उनसे बाकी बची नकली करेंसी बरामद की जाएगी और जेल भेजा जाएगा। गिरफ्तार जिकरूल पर पहले से ही दिल्ली और उत्तराखंड में दो मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह ने पश्चिमी यूपी में और किन-किन जगहों पर नकली करेंसी खपाई है। यह गिरफ्तारी पश्चिमी यूपी के मेलों और छोटे बाजारों में जाली नोटों की सप्लाई पर एक बड़ी रोक है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते थे।