चैतन्य बघेल को 5 दिन की रिमांड (फोटो- सोशल मीडिया)
Chaitanya Baghel Arrest: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को अदालत ने 5 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह भिलाई से शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले ईडी ने भूपेश बघेल के निवास पर करीब 7 घंटे तक छापेमारी की थी। इस कार्रवाई के बाद चैतन्य बघेल को हिरासत में लिया गया।
भूपेश बघेल ने अपने बेटे की गिरफ्तारी पर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज मेरे बेटे को उसके जन्म दिन पर गिरफ्तार किया गया है। उन्हें कहा कि ये तोहफा उन्हें ताउम्र याद रहेगा। वहीं, भाजपा ने बिना किसी दबाव के काम करने का दावा किया है।
आज मेरे बेटे को उसके जन्मदिन पर गिरफ्तार किया गया है.
पहले कवासी लखमा को टारगेट किया, देवेंद्र यादव को टारगेट किया और अब वे मेरे बेटे को निशाना बना रहे हैं, ताकि कोई अडानी के खिलाफ आवाज न उठा सके.
हम न डरेंगे, न झुकेंगे. pic.twitter.com/QPd49BjLKo
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) July 18, 2025
बेटे की गिरफ्तारी को लेकर भूपेश बघेल ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं को टारगेट करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। बघेल ने कहा, “मोदी और शाह ने अपने आकाओं को खुश करने के लिए मेरे घर पर ED भेजी है। लेकिन भूपेश बघेल डरने वाला नहीं है, हम सच्चाई की लड़ाई पूरी मजबूती से लड़ेंगे।”
भूपेश बघेल के आरोपों के जवाब में छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि, सरकार किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। ये कांग्रेस की सरकार नहीं है। उन्होंने कहा, प्रवर्तन निदेशालय अपनी कार्रवाई कर रही है, ED सरकार के कहने पर नहीं चलती। इससे पहले भी उनसे पूछताछ हुई थी, वे शक के दायरे में हैं।
#WATCH रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री केदार कश्यप ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कथित शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर कहा, “सरकार किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। ये कांग्रेस की सरकार नहीं है। ED… pic.twitter.com/eYLhzDsuT5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 18, 2025
भूपेश सरकार के कार्यकाल (2019 से 2023) के दौरान शराब कारोबार में करीब 2161 करोड़ रुपए की कथित हेराफेरी हुई। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर हर महीने कमीशन लेने के आरोप हैं। बताया गया कि शराब कंपनियों से प्रति केस रिश्वत वसूली जाती थी और उन्हें निश्चित बाजार हिस्सेदारी दी जाती थी।
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इसके अलावा लाइसेंस धारकों से भी बड़ी रकम वसूलने की बात सामने आई है। सरकारी दुकानों से शराब बिना किसी आधिकारिक रिकॉर्ड के बेची जाती थी, और कच्ची देसी शराब की बिक्री से होने वाला सारा मुनाफा कथित रूप से एक सिंडिकेट के पास जाता था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) अब तक लगभग 205 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर चुकी है।