नौकरी के लिए वीजा (सौ. सोशल मीडिया)
Career News: आज के दौर में हर कोई बेहतर करियर और लाइफस्टाइल के लिए विदेशों में काम करने की चाह रखता है। लेकिन हर देश में नौकरी पाने के लिए वीजा मिलना इतना आसान नहीं होता है। कई देशों में वीजा पॉलिसी इतनी सख्त होती है कि वहां नौकरी पाना स्किन पर आधारित नहीं बल्कि डॉक्यूमेंटेशन प्रोसेस, हाई क्वालिफिकेशन और कड़े इंटरव्यू राउंड तक पास करने होते हैं। यही वजह से ही कुछ देश नौकरी वीजा दिलाने के मामले में सबसे मुश्किल माने जाते हैं।
अमेरिका में काम करने के लिए गैर अप्रवासी वीजा H-1B वीजा की जरूरत होती है। जिसके जरिए अमेरिकी कंपनियां उन विदेशी कर्मचारियों को नियुक्ति करते हैं जो प्रोफेशन में दक्ष हैं। यह आमतौर पर तीन साल के लिए दिया जाता है। इसे कुल छह साल तक बढ़ाया जा सकता है।
जापान में नौकरी करने के लिए जापान वर्क वीजा की जरूरत होती है। यह अलग-अलग श्रेणियों में आता है। जैसे प्रोफेसर, इंटरनेशनल सर्विस, इंजीनियर, टेक्निशियन आदि जापान वर्क वीजा हासिल करने के लिए जापानी नियोक्ता से नौकरी का ऑफर होना चाहिए। इसके बाद सर्टिफिकेट ऑफ एलिजिबिलिटी प्राप्त करना होता है। जिससे पता चलता है कि आप जापान में काम करने योग्य हैं या नहीं। जापान का वर्क वीजा 3 महीने से 5 साल तक की अवधि का हो सकता है।
चीन में काम करने के लिए Z वीजा की जरूरत होती है। यह किसी भी विदेशी नागरिक को चीन में नौकरी करने की अनुमति देता है। इसे हासिल करने के लिए चीन की किसी भी कंपनी का ऑफर लेटर होना चाहिए।
यह भी पढ़ें:- बिहार में 12वीं पास युवाओं के लिए सरकारी नौकरी का मौका, स्टेनोग्राफर के 432 पदों पर भर्ती
नौकरी के लिए सबसे ज्यादा भारतीय अमेरिका जाना पसंद करते हैं। यहां आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका पसंदीदा डेस्टिनेशन है। यहां भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों में भी भारतीय काम करते हैं।
कमाई के मामले में अमेरिका सबसे आगे है। अमेरिका में टेक प्रोफेशनल्स और स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स जैसे हाई स्किल्ड कर्मचारी का औसत वेतन बहुत ज्यादा है। लेकिन यहां रहने की लागत भी ज्यादा है। न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को जैसे शहरों में खर्च अधिक होता है। जापान में सैलरी पैकेज अच्छा है लेकिन अमेरिका की तुलना में कम है।
वीजा प्रक्रिया अमेरिका में मिलना सबसे मुश्किल माना जाता है। लॉटरी सिस्टम, कठिन शर्त और बढ़ा हुआ शुल्क भारतीयों के लिए एक चुनौती है। साथ ही अप्रवासन नीतियों में होने वाले बदलाव भी अनिश्चितता को बढ़ाते हैं। चीन और जापान में भी वीजा प्रक्रिया कठिन है।