
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए कैसा रहा यह साल (सोर्स- सोशल मीडिया)
Startup Success Failures 2025: भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम के लिए साल 2025 उपलब्धियों और चुनौतियों का एक मिला-जुला सफर रहा है। इस साल जहां तकनीक और AI के क्षेत्र में नए यूनिकॉर्न्स का उदय हुआ, वहीं कड़े नियमों ने कुछ पुराने दिग्गजों को संकट में डाल दिया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि निवेश के मामले में फिनटेक और सास (SaaS) क्षेत्र का दबदबा बरकरार रहा है। सरकार के नए रेगुलेटरी फैसलों ने इस साल स्टार्टअप जगत की पूरी दिशा और दशा को प्रभावित किया है।
वर्ष 2025 में भारतीय स्टार्टअप जगत ने अपनी मजबूती दिखाते हुए 11 नए यूनिकॉर्न पेश किए। इस लिस्ट में एआई.टेक, नवी टेक्नोलॉजीज, रैपिडो और मनीव्यू जैसे बड़े नाम शामिल रहे। विशेष रूप से एआई.टेक ने महज तीन साल के भीतर 1.5 अरब डॉलर का वैल्यूएशन हासिल कर सबको चौंका दिया।
यह सफलता भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स, फिनटेक और सॉफ्टवेयर आधारित कंपनियों ने भी निवेशकों का भरपूर भरोसा जीता और अरबों डॉलर की वैल्यूएशन हासिल की।
नए स्टार्टअप्स के साथ-साथ कुछ पुराने यूनिकॉर्न्स ने भी अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। रिपोर्ट के अनुसार, स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म जिरोधा 8.2 अरब डॉलर की वैल्यूएशन के साथ शीर्ष पर बना रहा। इसके बाद रेजरपे और लेंसकार्ट का स्थान रहा, जिनकी वैल्यू करीब 7.5 अरब डॉलर आंकी गई।
फिनटेक प्लेटफॉर्म ग्रो ने भी 7 अरब डॉलर का स्तर छू लिया। जैप्टो, मीशो और इनमोबी जैसे स्टार्टअप्स ने भी ई-कॉमर्स और एडटेक सेक्टर में अपनी पकड़ बनाए रखी, जो भारतीय बाजार की क्षमता को दर्शाता है।
साल 2025 सभी के लिए सुखद नहीं रहा, विशेषकर ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग सेक्टर के लिए। अगस्त 2025 में लागू हुए नए ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी।
फैंटेसी स्पोर्ट्स और पोकर जैसे गेम्स पर कड़े प्रतिबंधों के कारण ड्रीम11, एमपीएल और गेम्सक्राफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां यूनिकॉर्न लिस्ट से बाहर हो गईं। इन कंपनियों की वैल्यूएशन में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकारी नीतियां किसी भी उभरते हुए सेक्टर की दिशा को तुरंत बदल सकती हैं।
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कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2025 तक देश में लगभग 6,385 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को बंद घोषित किया गया। सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स महाराष्ट्र में बंद हुए, जिसके बाद कर्नाटक और दिल्ली का नंबर आता है।
वाणिज्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने स्पष्ट किया कि स्टार्टअप्स का बंद होना किसी असामान्य खतरे का संकेत नहीं है, बल्कि यह बिजनेस मॉडल की विफलता या बाजार की प्रतिस्पर्धा जैसे सामान्य कारणों से है। हालांकि, इसी अवधि में करीब दो लाख नए स्टार्टअप्स को मान्यता मिलना एक सकारात्मक संकेत है।






