Vodafone Idea (सौ. Site)
नई दिल्ली : टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनियों में से एक वोडाफोन आइडिया के लिए एक राहतभरी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में वोडाफोन आइडिया के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल सकता है। असल में सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी की बाकी राशि के बदले 36,950 करोड़ रुपए के शेयरों के नए अधिग्रहण के साथ वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी बढ़ाकर 48.99 प्रतिशत करने पर सहमति जता दी है। सरकार मौजूदा समय में 22.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ कर्ज में डूब वोडाफोन आइडिया में सबसे बड़ी शेयरहोल्डर हैं।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड यानी वीआईएल ने शेयर मार्केट को दी सूचना में सरकार की ओर से एक्स्ट्रा हिस्सेदारी लेने की जानकारी दी है। अब खबर आ रही है कि देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी जियो और एयरटेल को इससे परेशानी हो सकती है। दोनों कंपनियों ने अपने स्पेक्ट्रम का भुगतान समय पर चुकाया है और वोडाफोन आइडिया को इस मोर्चे पर राहत मिली है। दोनों कंपनियों की ओर से इस बारे में पहले भी आवाज उठायी गई थी। आइए आपको भी बताते हैं कि वोडाफोन आइडिया की ओर से इस बारे में क्या कहा जा रहा है?
वोडाफोन आइडिया कंपनी ने कहा कि टेलीकॉम सेक्टर के लिए सितंबर, 2021 में घोषित सुधार और समर्थन पैकेज के अनुरूप बकाया स्पेक्ट्रम ऑक्शन अमाउंट को, जिसमें स्थगन अवधि खत्म होने के बाद चुकाए जाने वाले स्थगित बकाया भी शामिल हैं, कम्यूनिकेशन मिनिस्ट्री ने भारत सरकार को जारी किए जाने वाले इक्विटी शेयरों में बदलने का फैसला किया है।
इक्विटी शेयरों में ट्रांसफर की जाने वाली टोटल अमाउंट 36,950 करोड़ रुपए है। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि उसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी एवं अन्य प्राधिकरणों से जरूरी आदेश जारी होने के बाद 30 दिनों के अंदर 10 रुपये के अंकित मूल्य वाले 3,695 करोड़ इक्विटी शेयर 10 रुपये के निर्गम मूल्य पर जारी करने का निर्देश दिया गया है।
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वोडाफोन आइडिया ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि नए इक्विटी शेयर जारी होने के बाद कंपनी में भारत सरकार की हिस्सेदारी मौजूदा 22.60 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 48.99 प्रतिशत हो सकती है। इसके साथ ही वोडाफोन आइडिया ने कहा कि उसके प्रमोटर्स के पास कंपनी का ऑपरेशनल कंट्रोल बना रहेगा। कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी स्पेक्ट्रम नीलामी की राशि का सरकार को भुगतान नहीं कर पाई थी। जिसके बाद कंपनी ने बाकी भुगतान के एवज में सरकार को 22.6 प्रतिशत हिस्सेदारी सौंपी थी।