ईएसआईसी (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने भारत में ईएसआई को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने पूरे देश में कर्मचारी राज्य बीमा यानी ईएसआई का दायरा बढ़ाने के लिए शुक्रवार को एम्पॉलर्स और एम्पॉलई के रजिस्ट्रेशन को बढ़ावा देने की स्कीम के रिन्यूअल का ऐलान किया है।
मूल रूप से 2016 में शुरू की गई ‘स्प्री’ योजना यानी एम्पॉलर्स और एम्पॉलई के रजिस्ट्रेशन को बढ़ावा देने की योजना है। इस स्कीम ने 88,000 से ज्यादा एम्पॉलर्स और 1.02 करोड़ एम्पॉलई के रजिस्ट्रेशन की सुविधा प्रदान कराई है।
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रिन्यूअल स्कीम एक जुलाई से 31 दिसंबर, 2025 तक खुली रहेगी। यह अनरजिस्टर्ड एम्पॉलर्स और अनुबंधित एवं अस्थायी कर्मचारियों सहित छूटे हुए श्रमिकों को ईएसआई अधिनियम के अंतर्गत नॉमिनेशन करने का एकमुश्त अवसर देगी। इस स्कीम के अंतर्गत निर्धारित अवधि में रजिस्ट्रेशन करने वाले एम्पॉलर्स को रजिस्ट्रेशन की तारीख से या उनके द्वारा घोषित तारीख से ईएसआई में शामिल माना जाएगा, जबकि नए रजिस्टर्ड एम्पॉलई को उनके रजिस्ट्रेशन की संबंधित तारीखों से कवर किया जाएगा।
स्वैच्छिक अनुपालन पर केंद्रित यह योजना मुकदमेबाजी का बोझ कम करने, औपचारिक पंजीकरण को प्रोत्साहित करने और हितधारकों के बीच बेहतर जुड़ाव एवं सद्भावना को बढ़ावा देने की कोशिश करेगी। यह फैसला शुक्रवार को कर्मचारी राज्य बीमा निगम यानी ईएसआईसी की हिमाचल प्रदेश के शिमला में आयोजित बैठक में लिया गया।
इस बैठक में ईएसआईसी ने माफी योजना-2025 को भी परमिशन दी जो 1 अक्टूबर, 2025 से 30 सितंबर, 2026 तक एकबारगी विवाद समाधान व्यवस्था है। इसका उद्देश्य मुकदमेबाजी को कम करना और ईएसआई अधिनियम के अंतर्गत अनुपालन को बढ़ावा देना है। यह पहला मौका है जब ‘कवरेज’ के संबंध में नुकसान और ब्याज से जुड़े मामलों के साथ विवादों को भी माफी स्कीम में शामिल किया गया है। क्षेत्रीय निदेशकों को उन मामलों को वापस लेने का अधिकार दिया गया है जहां कॉन्ट्रीब्यूशन एवं ब्याज का भुगतान किया गया है।
इस माफी योजना का उद्देश्य न्यायालय के बाहर विवादों के समाधान के लिए एक व्यवस्था मुहैया कराते हुए मुकदमों की संख्या को कम करना, नियोक्ताओं को आपसी समझौते के लिए आगे आने का अवसर देना है। ईएसआईसी ने वर्गीकृत दरों के पिछले ढांचे को बदलकर अपने नुकसान के ढांचे को सरल बनाने का भी फैसला किया। पिछले ढांचे में नुकसान की अधिकतम सालाना दर 25 प्रतिशत थी जिसे अब नियोक्ता द्वारा देय राशि पर हर महीने एक प्रतिशत कर दिया गया है।
इसके अलावा निगम ने राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना यानी आरजीएसकेवाई के तहत नौकरी छूटने की तारीख से 12 महीने बाद भी आवेदन जमा करने में छूट देने के लिए ईएसआईसी के महानिदेशक को शक्तियां सौंपने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। इसने ईएसआईसी की संशोधित आयुष नीति को भी मंजूरी दी। यह नीति आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी को ईएसआईसी स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क में शामिल करने पर केंद्रित है।
सिर्फ एक बदलाव और मिलेंगी 35 करोड़ नौकरियां, NCAER की रिपोर्ट में दावा
निगम ने ईएसआईसी अस्पतालों में योग चिकित्सकों एवं पंचकर्म तकनीशियनों/ परिचारकों की नियुक्ति को मंजूरी दी है। इसके साथ ही ईएसआईसी ने कम सेवा वाले क्षेत्रों में धर्मार्थ अस्पतालों के साथ साझेदारी में ईएसआई लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवा पहुंच देने के लिए एक पायलट परियोजना को भी मंजूरी दी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)