
पीएफ फंड ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : हर कर्मचारी के पास रिटायरमेंट के बाद पीएफ का लाभ उठाने का अवसर होता है। ईपीएफओ स्कीम के तहत कोई भी नौकरीपेशा व्यक्ति आसानी से रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित अमाउंट के साथ पेंशन की योजना का लाभ ले सकता है। ईपीएफओ होल्डर हर महीने अपनी बेसिक सैलरी में से 12 फीसदी अमाउंट अपने पीएफ अकाउंट में जमा करता है। जितना योगदान कर्मचारी करता है, उतना ही योगदान कंपनी भी करती है।
कई बार ऐसा होता है कि जॉब चेंज कर लेने पर कर्मचारी पीएफ अकाउंट में जमा अपना सारा पैसा अकाउंट से निकाल लेते हैं। लेकिन ईपीएफओ के नियमों के अनुसार, ऐसा करने वाले उस कर्मचारी की पीएफ सदस्यता हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। यही कारण है कि ईपीएफ होल्डर्स को सलाह दी जाती है कि वे जॉब चेंज करते समय अपना पीएफ अकाउंट ट्रांसफर कर लें।
पुराने पीएफ अकाउंट को नए अकाउंट में ट्रांसफर करने से कर्मचारियों को 2 फायदे हो सकते है। हम आपको बताते है कि कैसे आप पीएफ अकाउंट ट्रांसफर करके लाभ उठा सकते है।
पीएफ अकाउंट ट्रांसफर करने से एक फायदा ये होता है कि इससे कर्मचारी की सदस्यता खत्म नहीं होती है। इसका दूसरा लाभ ये होता है कि पीएफ अकाउंट में जमा पैसों के लिए आपको कंपाउंड ब्याज भी मिलता है। अगर आपके अकाउंट में मोटी राशि है, तो ये कंपाउंड ब्याज आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है। साथ ही अगर लगातार 10 साल पीएफ अकाउंट में योगदान करते हैं तो कर्मचारी पेंशन पाने का अधिकारी बन जाता है।
पीएफ अकाउंट ट्रांसफर करके आप मोटी अमाउंट बना सकते हैं। इससे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर आपकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपये है, तो पीएफ अकाउंट में हर महीने आप और कंपनी दोनों 3600 रुपये का मिलकर योगदान करते हैं। फिलहाल में ईपीएफओ की राशि पर 8.5 फीसदी का ब्याज मिलता है। इसका मतलब है कि यदि आप 15 साल में लगभग 12 लाख 94 रुपये का फंड जमा हो सकता है। इसी तरह अगर आप 30 साल तक ईपीएफओ में योगदान करते है, तो आप करीब 55 लाख 46 हजार और 40 साल बाद 1 करोड़ 29 लाख रुपये से ज्यादा का फंड जमा होता है।






