सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
Supreme Court To CBI: देश के सर्वोत्तम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आड़े हाथों लिया है। सोमवार को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड यानी आईएचएफएल से जुड़े एक मामले में पेश न होने के चलते केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई को जमकर फटकार लगायी है।
यह मामला आईएचएफएल, जिसे अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, द्वारा कॉरपोरेट संस्थाओं को कथित रूप से संदिग्ध ऋण देने से जुड़ा हुआ है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा है कि सीबीआई को नोटिस जारी करने के बाद वह हमारे सामने पेश क्यों नहीं हुई? सीबीआई कैसे कह सकती है कि हम कोर्ट में पेश नहीं होंगे? क्या सीबीआई में हमारे सामने पेश न होने की हिम्मत है? सीबीआई के कुछ सीनियर अधिकारियों को हमारे सामने आने दीजिए।
सिटिजन्स व्हिसल ब्लोअर फोरम की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि इंडियाबुल्स कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये ऋण देती थी, जिसके बदले में ये कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के प्रवर्तकों को करोड़ों रुपये के असुरक्षित ऋण देती थीं। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि एजेंसी मामले की जांच कर रही है और जहां तक सीबीआई का सवाल है, तो एक औपचारिक शिकायत दर्ज होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई न्यायिक रिकॉर्ड के आधार पर मामला दर्ज कर सकती है। अगर कुछ भी गलत हुआ है, तो केंद्रीय यानी जांच एजेंसियों को एक रिपोर्ट पेश करनी चाहिए थी। एफआईआर या शिकायत का इंतज़ार क्यों किया जाए? कोई भी कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए।
न्यायमूर्ति कांत ने राजू से कहा कि वह सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत में पेश होने के लिए कहें, क्योंकि वह उनसे कुछ सवाल पूछना चाहते हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई के लिए निर्धारित की है।
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आपको बता दें कि इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड जिसे अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। ये एक एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी है, जो मुख्य तौर पर होम लोन देने का काम करती है। केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा ये बैंक रेग्यूलेट होती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)