आरबीआई (सौ. सोशल मीडिया )
RBI MPC Meeting: देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी यानी एमपीसी की मीटिंग सोमवार से शुरु हो गई है। 4 अगस्त से शुरु हुई ये बैठक 6 अगस्त तक चलने वाली है। बुधवार को आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा इस मीटिंग में हुए फैसलों का ऐलान करेंगे।
ये मीटिंग ऐसे समय पर हो रही है, जब अमेरिका ने इंडियन इंपोर्ट पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। अर्थशास्त्रियों के कहा है कि रिजर्व बैंक के पास कम से कम 0.25 बेसिक प्वाइंट की एक और कटौती पर विचार करने के पर्याप्त कारण हैं, क्योंकि आने वाले समय में अमेरिकी टैरिफ एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकते हैं और समग्र इकोनॉमिक एक्विविटी को स्लो कर सकते हैं।
एसबीआई रिसर्च की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि महंगाई दर में नरमी और ग्लोबल अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए RBI द्वारा रेपो रेट में 0.25 बेसिक प्वाइंट की कटौती की उम्मीद है, इससे जीडीपी में तेजी बनी रहेगी। रिपोर्ट में आगे कहा कि अगर यह रेपो रेट की दर में कटौती होती है, तो इससे क्रेडिट ग्रोथ को फाइनेंशियल ईयर 26 के फेस्टिव सीजन शुरू होने से पहले बड़ा बूस्ट मिलेगा।
रिपोर्ट में बताया गया कि ऐतिहासिक तौर पर जब भी फेस्टिव सीजन शुरू होने से पहले ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो क्रेडिट ग्रोथ के बड़ा बूस्ट मिलता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सेंट्रल बैंकों के नीति निर्माताओं को बहुत देर से कार्रवाई करके प्रभावी हस्तक्षेप का मौका गंवाने से बचना चाहिए। साथ ही कहा गया है कि बैकलोडिंग या टाइप II गलती करने का कोई मतलब नहीं है।
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केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुकूल आधार और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण भारत में मुख्य महंगाई दर अगली दो तिमाहियों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के 4 फीसदी के टारगेट से नीचे रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले समय में इंफ्लेशन रेट कम रहने की संभावना है, लेकिन तीसरी तिमाही से इसमें ग्रोथ शुरू हो सकती है। फाइनेंशियल ईयर 2026 की आखिरी तिमाही में आधार प्रभाव के कम होने पर यह 4 फीसदी के स्तर को पार कर सकती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)