रियल एस्टेट सेक्टर (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : हर किसी का खुदका घर बनाने का सपना होता है, लेकिन आज के जमाने में बढ़ती कीमतों के चलते ये सपना हर कोई पूरा नहीं कर पा रहा है। दिल्ली-एनसीआर से लेकर भोपाल और लखनऊ जैसे शहरों तक में एक छोटे से 2 बीएचके अपार्टमेंट की कीमत अब 50 लाख के पार पहुंत गई है। साथ ही मार्केट का पूरा ध्यान इस समय लग्जरी अपार्टमेंट पर है, ऐसे में किफायती कीमतों पर घर खरीदना देश के लिए जरूरी हो गया है। ऐसे में क्या इस बार के बजट में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कोई आवश्यक कदम उठाया जा सकता है या नहीं ये देखना होगा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश का बजट पेश करने वाली है। साल 2024 में लोकसभा चुनान के चलते जुलाई के महीने में पूर्ण बजट पेश किया गया था, तब मिडिल क्लास के लिए घर खरीदना आसान माना जाता था। इस बार सरकार बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर कुछ ठोस कदम उठा सकती है, ऐसी उम्मीद की जा रही है। वहीं रियल एस्टेट सेक्टर की सबसे बड़ी मांग ये है कि इस सेक्टर को भी इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाना चाहिए। सरकार का ध्यान इस फेक्टर पर भी रहेगा।
देश में पिछले कुछ सालों में जमीन और बिल्डिंग मटेरियल की कीमत काफी तेजी से बढ़ रही है। जिसका सीधा असर ये हुआ कि घरों की लागत बढ़ने लगी और खरीदार कम होते गए। ऐसे में रियल एस्टेट सेक्टर ये उम्मीद कर रहा है कि सरकार हर किसी के लिए घर खरीदने की सुविधा को किफायती बनाने की ओर ध्यान दें। साथ ही वन ग्रुप के डायरेक्टर उदित जैन ने कहा है कि सरकार घर खरीदने वालों के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम लेकर आने के बारे में विचार करे, ताकि लोग आराम से सस्ती कीमतों पर घर खरीद सकें।
वहीं क्रेस्ट वेंचर्स लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट जैश चोरारिया कहते है कि रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए सरकार को इनकम टैक्स एक्ट में भी छूट देना चाहिए। होम लोन इंटरेस्ट पर मिलने वाली 2 लाख रुपये की टैक्स डिडक्शन लिमिट में सालों साल से कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि मार्केट में ब्याज दरें और घरों की कीमतें दोनो बढ़ी है। इससे देश में घरों की डिमांड कम हो रही है। उम्मीद जतायी जा रही है कि सरकार इस लिमिट को 5 लाख रुपये तक कर सकती है।
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रियल एस्टेट सेक्टर की डिमांड को बढ़ाने के लिए सरकार जहां जीएसटी दर में कटौती करने का उपाय कर सकती है, तो वहीं इंडस्ट्री को किफायती आवास को बढ़ावा देने के लिए कुछ राहत दे सकती है। साथ ही सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना का फिर से विस्तार करने पर विचार कर सकती है।