पब्लिक प्रोविडेंट फंड (सौ. सोशल मीडिया )
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने इस साल रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती की है। जिस कारण ये खबर आ रही है कि जुलाई के महीने में होने वाली अगली समीक्षा बैठक में पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ की इंटरेस्ट रेट 7 प्रतिशत से भी नीचे आ सकती है।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकारी बॉन्ड की गिरती यील्ड और इंटरेस्ट रेट तय करने के फॉर्मूले इस में कटौती का संकेत दे रहे हैं, साथ ही कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि राजनीतिक और व्यवहारिक कारणों से सरकार इतनी जल्दी कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकती हैं।
अभी पीपीएफ की ब्याज दर 7.10 प्रतिशत है, जो 10 साल के सरकारी बॉन्ड के औसत यील्ड से जुड़ी होता है। एक एक्सपर्ट के फॉर्मूले के अनुसार, पीपीएफ का इंटरेस्ट रेट 10 साल के सरकारी बॉन्ड का एवरेज यील्ड से 25 बेसिक प्वाइंट ज्यादा होना चाहिए। वर्तमान समय में ये यील्ड लगभग 6.325 परसेंट पर हैं, जिसके अनुसार पीपीएफ का रेट 6.575 परसेंट बनती है, जिसका सीधा मतलब है कि मौजूदा दर से लगभग 52.5 बेसिक प्वाइंट कम हो सकता है।
स्क्रिपबॉक्स के फाउंडर और सीईओ अतुल शिंगल ने कहा है कि आरबीआई के द्वारा साल 2025 में रेपो रेट में लगभग 1 प्रतिशत की कटौती के बाद अब सभी की नजर स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स की जुलाई तिमाही की इंटरेस्ट रेट पर हैं। उन्होंने इंवेस्टर्स को सलाह दी है कि वे संभावित कटौती से पहले ही मौजूदा दरों के आधार पर इंवेस्ट कर लें।
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पीपीएफ की ब्याज दर में सालों से उथल-पुथल देखने के लिए मिल रही है। वर्तमान समय में ये दर प्रति वर्षानुसार 7.1 प्रतिशत है और ये अप्रैल 2020 से अब तक जैसे की वैसी बनी हुई है। हर महीने इंटरेस्ट रेट की गिनती होती है, लेकिन इसे सालाना आधार पर अकाउंट में जोड़ा जाता है। साल 1986 से लेकर साल 1999 तक पीपीएफ पर सबसे हाई इंटरेस्ट रेट 12 परसेंट थी। इसके बाद ये धीरे-धीरे घटती गई है। साल 2000 में ये 9.3 प्रतिशत, साल 2003 में ये 8 प्रतिशत और साल 2017 में ये इंटरेस्ट रेट 7.9 प्रतिशत हो गया था।