डिजिटल इकोनॉमी (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत में पिछले कुछ सालों से तेजी से हो रहे डिजिटल इकोनॉमी के विस्तार को लेकर कई सवाल किए जा रहे हैं। कई बार इस सेक्टर को नौकरियां निगलने वाला बता दिया जाता है। ग्लोबल लेवल पर हाल ही में ऐसी कई रिपोर्ट्स आयी है, जिससे ये पता चला है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण बैंकिंग सेक्टर में काफी नौकरियां खत्म हो सकती है।
हालांकि भारत सरकार के आईटी मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट्स कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 तक भारत के नेशनल इनकम में डिजिटल इकोनॉमी की हिस्सेदारी एग्रीकल्चर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से आ सकती है। इतना ही नहीं ये भी कहा जा रहा है कि नेशनल इनकम में पांचवां हिस्सा डिजिटल इकोनॉमी से हुई कमाई का होगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मिनिस्ट्री की इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2029-30 तक भारत की डिजिटल इकोनॉमी की स्पीड ओवरऑल इकोनॉमी से दोगुनी तेज हो सकती है। 22 जनवरी को जारी एस्टिमेशन एंड मेज़रमेंट ऑफ़ इंडिया’स डिजिटल इकोनॉमी रिपोर्ट में पहली बार डिजिटल इकोनॉमी में होने वाले वैल्यू एडिशन और रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता का आकलन किया गया है। कुछ दिनों के लिए सबसे ज्यादा ग्रोथ डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से हो रही इकोनॉमी के विकास के कारण होने जा रहा है। इसके बाद इकोनॉमी के बाकी हिस्से के हो रहे डिजिटलाइजेशन के चलते मिल रहे आउटपुट का एक बड़ा हिस्सा विकास की इस कहानी में शामिल हो सकता है। धीरे-धीरे डिजिटल इकोनॉमी में डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित इंफॉर्मेंशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी का हिस्सा कम हो सकता है।
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आईटी मंत्रालय की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के नेशनल इनकम में 2022-23 में डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा 11.74 प्रतिशत था, जो साल 2024-25 के आखिर तक 13.42 प्रतिशत हो सकता है। इसी तरह वित्त वर्ष 2022-23 में ही देश की डिजिटल इकोनॉमी 31 लाख 64 हजार करोड़ की हो चुकी है। रोजगार के मामले में भी ये सेक्टर अकेले ही 2.5 प्रतिशत का योगदान देता है। आने वाले दिनों में इस आंकड़े में और भी ज्यादा बढ़त की उम्मीद है। अभी इस सेक्टर से कुल 1 करोड़ 46 लाख लोग रोजगार पा रहे हैं। हालांकि एग्रीकल्चर सेक्टर 45.8 प्रतिशत और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर 11.4 प्रतिशत रोजगार जनरेट कर सकता है।