फार्मा एक्सपोर्ट (सौ. सोशल मीडिया )
Pharma Export Of India: भारत के फार्मा मोर्चे से एक खुशखबरी आ रही है। संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, फार्मास्यूटिकल सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत के नजरिए को साकार करने के लिए केंद्र सरकार अलग-अलग योजनाओं को लेकर आयी है।
जिसका नतीजा ये रहा कि भारत के दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट में 92 परसेंट की ग्रोथ हुई है, जो फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में 1,28,028 करोड़ रुपये से बढ़कर फाइनेंशियल ईयर में 2,45,962 करोड़ रुपये का हो गया है।
रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि इन योजनाओं में प्रमोशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेसन इन फार्मा-मेडटेक यानी पीआरआईपी योजना, फार्मास्यूटिकल्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन यानी पीएलआई योजना, बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना, बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने की योजना और फार्मास्यूटिकल उद्योग को मजबूत करने की योजना शामिल है।
भारत के फार्मा और मेडटेक सेक्टर को कॉस्ट बेस्ड से इनोवेशन बेस्ड डेवलपमेंट में बदलने के लिए 5,000 करोड़ रुपए के एक्सपेंस के साथ पीआरआईपी स्कीम शुरू की गई है। इसका टारगेट रिसर्च को मजबूती देना और औषधि खोज एवं विकास तथा चिकित्सा उपकरणों जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में आरएंडडी के लिए इंडस्ट्री- एकेडेमिक कॉन्टेक्ट को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि इस स्कीम के अंतर्गत 7 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए गए हैं।
फार्मास्युटिकल्स के लिए पीएलआई स्कीम का मकसद इस सेक्टर में इंवेस्टमेंट और प्रोडक्शन बढ़ाकर और फार्मास्यूटिकल सेक्टर में हाई वैल्यू वाली वस्तुओं के लिए उत्पाद विविधीकरण में योगदान देकर भारत की मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी को बढ़ाना है। राज्य मंत्री ने कहा कि इस स्कीम ने पात्र उत्पादों में इंवेस्टमेंट और प्रोडक्शन को बढ़ाया है।
मार्च 2025 तक, स्कीम की 6 साल की अवधि के लिए टारगेटेड 17,275 करोड़ रुपए के प्रतिबद्ध इंवेस्टमेंट से स्कीम के तीसरे साल तक 37,306 करोड़ रुपए का संचयी निवेश हो चुका है और 2,66,528 करोड़ रुपए के अप्रूवड प्रोडक्ट्स की संचयी सेल्स हुई है, जिसमें 1,70,807 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट शामिल है।
बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई स्कीम का मकसद महत्वपूर्ण दवाओं को बनाने में प्रयुक्त होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स यानी एपीआई की सप्लाई में बाधा से बचना है। स्कीम का टोटल बजटीय एक्सपेंस 6,940 करोड़ रुपये है। उन्होंने आगे बताया कि मार्च 2025 तक, स्कीम के अंतर्गत 6 साल की प्रोडक्शन पीरियड में इंवेस्टमेंट के लिए स्वीकृत प्रोजेक्ट्स के अंतर्गत 3,938.5 करोड़ रुपए का प्रतिबद्ध निवेश, योजना के तीसरे साल तक किए गए 4,570 करोड़ रुपए के संचयी निवेश के साथ, काफी हद तक पार हो गया है।
राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने सभी को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना शुरू की है। इस योजना के तहत, देश भर में जन औषधि केंद्र यानी जेएके के रूप में जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट खोले जाते हैं, जो बाजार में प्रमुख ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत कम कीमतों पर दवाइयां उपलब्ध कराते हैं।
6 जून, 2025 तक, टोटल 16,912 जेएकेखोले जा चुके हैं और एवरेज तकरीबन 10 से 12 लाख लोग हर दिन इन सेंटर्स पर आते हैं और अफॉर्डेबल रेट पर क्वालिटी मेडिसिन प्राप्त करते हैं। इस स्तीम के अंतर्गत 2,110 दवाइयां और 315 सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट, मेडिकल कंज्यूमल और इक्वीप्मेंट शामिल हैं।
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राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि इस योजना के परिणामस्वरूप, पिछले 11 सालों में, ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना में नागरिकों को लगभग 38,000 करोड़ रुपए की अनुमानित सेविंग्स हुई है। साथ ही, इस स्कीम ने 6,800 से ज्यादा फीमेल एंटरप्रेन्योर सहित 16,000 से ज्यादा लोगों को खुद का रोजगार देने का काम किया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)