भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब (सोर्स-सोशल मीडिया)
India Second Largest Mobile Hub: भारत ने वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है क्योंकि देश अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माण केंद्र बन गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि पिछले एक दशक में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
सरकार की दूरदर्शी नीतियों और PLI स्कीम के कारण न केवल उत्पादन बढ़ा है बल्कि निर्यात में भी आठ गुना की भारी बढ़त हुई है। यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की सफलता को वैश्विक पटल पर प्रमाणित करती है जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिल रही है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं ने देश के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की तस्वीर बदल दी है। पिछले 11 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात आठ गुना बढ़ा है और अब यह देश की तीसरी सबसे बड़ी निर्यात कैटेगरी बन चुका है।
बड़े स्तर पर विनिर्माण के लिए लाई गई इस योजना ने अब तक 13,475 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है। इसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 9.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है जो भारतीय बाजार की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र न केवल राजस्व जुटा रहा है बल्कि रोजगार सृजन का भी एक बड़ा केंद्र बन गया है। अश्विनी वैष्णव के अनुसार पिछले एक दशक में इस क्षेत्र ने कुल 25 लाख नौकरियां पैदा की हैं जिनमें से 1.3 लाख से ज्यादा नौकरियां पिछले पांच वर्षों में मिली हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत आए आवेदनों से यह उम्मीद जताई गई है कि आने वाले समय में 1.42 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। विनिर्माण इकाइयों के विस्तार के साथ-साथ जमीनी स्तर पर युवाओं को बड़े पैमाने पर आर्थिक अवसर मिल रहे हैं जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे हैं।
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भारत अब केवल तैयार उत्पादों (Finished Goods) तक सीमित नहीं है बल्कि कंपोनेंट्स और चिप्स बनाने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार ने सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए 10 नई इकाइयों को मंजूरी दी है जिनमें से तीन इकाइयों ने पायलट प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है।
जल्द ही भारत में बने चिप्स मोबाइल और अन्य गैजेट्स बनाने वाली कंपनियों को सप्लाई किए जाएंगे। कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम में 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव मिला है जो इंडस्ट्री के भरोसे को दिखाता है। भारत अब कच्चे माल से लेकर मशीनों तक के निर्माण में अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।