
साल 2026 भारत के अंतरिक्ष मिशन (सोर्स-सोशल मीडिया)
India Space Missions: साल 2025 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए उपलब्धियों की नई पराकाष्ठा लेकर आया है। इस वर्ष भारत ने न केवल अपने 200 सफल मिशनों का ऐतिहासिक आंकड़ा पार किया, बल्कि दुनिया को अपनी स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक और भारी रॉकेट ‘बाहुबली’ की ताकत का भी अहसास कराया।
पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचा, जिसने भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन के सपनों को नई उड़ान दी। इसरो प्रमुख के अनुसार, पिछले एक दशक की तुलना में इस साल की प्रगति और मिशनों की संख्या लगभग दोगुनी रही है।
साल के आखिरी हफ्तों में इसरो ने 24 दिसंबर 2025 को एक बड़ी कामयाबी हासिल की। ‘बाहुबली’ कहे जाने वाले एलवीएम3 (LVM3) रॉकेट के जरिए अमेरिकी कंपनी के 6100 किलो वजनी संचार उपग्रह ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ को सफलतापूर्वक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया।
यह मिशन भारत की कमर्शियल लॉन्चिंग क्षमता को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने वाला साबित हुआ। इसके अलावा, इसरो ने इसी साल सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) का सफल “हॉट टेस्ट” कर भविष्य के शक्तिशाली रॉकेटों के लिए रास्ता साफ किया है।
जनवरी 2025 में भारत ने ‘स्पैडेक्स’ (Space Docking Experiment) के माध्यम से अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक जोड़कर दुनिया को अपनी तकनीकी परिपक्वता दिखाई। इस सफलता के साथ भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है, जो भविष्य में स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में एक अनिवार्य कदम है।
इसके साथ ही, इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत आईएसएस पर 18 दिन बिताकर इतिहास रच दिया। वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने, जिससे पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
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भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 ने इस साल सौर अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांतिकारी डेटा जारी किया। इसरो ने सूर्य के रहस्यों को समझने के लिए लगभग 15 टेराबाइट वैज्ञानिक डेटा वैश्विक समुदाय के साथ साझा किया है। इसके अलावा, इसरो और नासा के संयुक्त मिशन ‘निसार’ (NISAR) ने भी इस साल उड़ान भरी।
यह दुनिया का पहला दोहरी आवृत्ति वाला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो भूकंप, सुनामी और जलवायु परिवर्तन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सटीक निगरानी करेगा। ये उपलब्धियां भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करती हैं।






