बीमा सेक्टर (सौ.सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण यानी इरडा ने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को अकाउंट में ब्लॉक अमाउंट के माध्यम से समर्थित इंश्योरेंस एप्लीकेशन की सुविधा देने के लिए कहा है। यह एक ऐसी सुविधा है जिसमें पॉलिसी होल्डर अपने बैंक अकाउंट में प्रीमियम अमाउंट को ब्लॉक कर सकता है और जब पॉलिसी जारी होती है, अमाउंट अकाउंट से निकल जाती है।
यह ठीक वैसे ही जैसे शेयर मार्केट में आईपीओ के लिए एप्लीकेशन देते समय अमाउंट ब्लॉक की जाती है। अमाउंट तभी कटती है जब आईपीओ का अलॉकेशन होता है। इरडा के मानदंडों के अनुसार, इंश्योरेंस कंपनी के ग्राहक को दिये गए प्रस्ताव की स्वीकृति के फैसले के बारे में सूचित करने के बाद ही प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा।
यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, वन टाइम मैंडेट यानी ओटीएम सुविधा उपयोगकर्ताओं को स्पेशल ट्रांसेक्शन के लिए अपने बैंक अकाउंट में धनराशि को ‘ब्लॉक’ करने की परमिशन देती है। इस व्यवस्था में वास्तविक भुगतान किए बिना धन की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
इरडा ने प्रीमियम के भुगतान के सुचारू ट्रांसेक्शन की सुविधा के मकसद से कहा कि बीमा कंपनियां यूपीआई-ओटीएम उपयोग कर सकती हैं और इसके लिए वे सक्षम हैं। इसमें कहा गया है कि अकाउंट में ब्लॉक राशि के माध्यम से समर्थित इंश्योरेंस एप्लीकेशन की सुविधा के अंतर्गत, संभावित ग्राहक से बीमाकर्ता को फंड का ट्रांसफर सिर्फ तभी होता है जब बीमा पॉलिसी जारी की जाती है।
इरडा ने कहा कि बीमाकर्ताओं को समय-समय पर एनपीसीआई यानी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के द्वारा निर्धारित सीमा तक प्रीमियम को रोकने के लिए बीमा-एएसबीए व्यवस्था का उपयोग करने की अनुमति है। इसमें कहा गया है कि बीमाकर्ताओं को लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए अपने संभावित ग्राहकों को बीमा-एएसबीए सुविधा प्रदान करना जरूरी है। वर्तमान में यह सुविधा व्यक्तिगत पॉलिसीहोल्डर्स को दी जा रही है।
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इंश्योरेंस कंपनियों को 1 मार्च तक इसे शुरू करने और बीमा-एएसबीए सुविधा देने के लिए कहा गया है। इंश्योरेंस रेग्यूलेटर ने यह भी कहा कि बीमाकर्ताओं को कई बैंकों के साथ पार्टनरशिप करनी चाहिए और उचित सिस्टम और प्रोसेस को अपनानी चाहिए। यूपीआई-ओटीएम सर्विस कई मामलों में उपयोगी है। इसके अंतर्गत ग्राहक तत्काल डेबिट के बिना राशि को ‘ब्लॉक’ को अधिकृत करना पसंद करते हैं। इससे ट्रांसेक्शन की प्रोसेस आसान हो जाती है। शेयर बाजार में एएसबीए या यूपीआई के माध्यम से अमाउंट को ‘ब्लॉक’ करने की सुविधा का उपयोग रिटेल इंवेस्टर्स व्यापक रूप से करते हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)