कच्चा तेल (सौ. सोशल मीडिया)
Oil From Russia: हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के साथ ही रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के लिए पेनाल्टी भी लगाने का फैसला लिया है।
ट्रंप की इस कूटनीति के बाद भी भारत अपने पक्ष में मजबूती से खड़ा है। भारत की ओर से साफ कर दिया गया है कि देश की बड़ी ऑयल कंपनियां रूस से तेल खरीदना जारी रखेगी। इसमें कोई रूकावट नहीं आएगी।
आपको बता दें कि भारतीय तेल कंपनियों ने अब भी रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश की बड़ी ऑयल कंपनियां अब भी रूस से तेल खरीद रही हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया था कि मुझे पता चला है कि भारत ने अब रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। बताया जा रहा है कि इंडियन ऑयल कंपनियों ने इस बात पर सफाई देते हुए इससे इनकार किया है।
भारत का रूस से तेल खरीदने का फैसला प्राइस फेक्टर, क्रूड ऑयल की क्वालिटी, स्टॉक, लॉजिस्टिक और दूसरे इकोनॉमिक फेक्टर्स पर आधारित हैं। भारत ने रूस से ऑयल खरीदना इसीलिए भी जारी रखा है, क्योंकि रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल प्रोड्यूसर है। रूस रोजाना लगभग 9.5 मिलियन बैरल ऑयल प्रोड्यूस करता है और 4.5 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल और 2.3 मिलियन बैरल रिफाइंड प्रोडक्ट्स निर्यात करता है।
मार्च 2022 में रूसी ऑयल के मार्केट से बाहर जाने के डर के कारण ब्रेंट क्रूड का प्राइस 137 डॉलर प्रति बैरल तक हो गया था। ऐसे समय में भारत ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने सोर्सेज का सही तरीके से इस्तेमाल किया। जिसके बाद सस्ती एनर्जी मिल सके, वो भी इंटरनेशनल नियमों का पूरी तरीके से पालन करते हुए।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ये दावा किया था कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर सकता है और इसे भारत का शानदार कदम बताया था, लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए एनर्जी पॉलिसी बनाने के अपने अधिकार का बचाव किया था।
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आपको बता दें कि भारत ने कभी भी रूसी ऑयल को बैन नहीं किया और न ही अमेरिका या ईयू इसे बैन कर पाया है। इंडियन ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ईरान और वेनेजुएला से ऑयल की खरीदारी नहीं कर रही हैं, जिन पर अमेरिका ने सचमुच में बैन लगा दिया है। इंडियन कंपनियां हमेशा अमेरिका के द्वारा सुझायी गई 60 डॉलर की प्राइस कैप को फॉलो करती हुई आयी हैं।