एमएसएमई सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
भारत में साल 2014 के बाद से छोटे व मझोले कारोबार की ओर बेहद बारीकी से ध्यान दिया गया है। जिसका ये असर है कि इस सेक्टर ने देश की इकोनॉमिक ग्रोथ में काफी अहम भूमिका निभायी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एमएसएमई ने पूरे देश में इनोवेशन, इकोनॉमिक डेवलपमेंट को बढ़ावा दिया है।
कुछ आंकड़ों के अनुसार एमएसएमई सेक्टर में 63 मिलियन से ज्यादा यूनिट्स शामिल हुई हैं और भारत के टोटल एक्सपोर्ट में 45 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान रहा है, देश के तेजी से विकास में ये अहम शक्ति रहा है। इस साल 2025 में एमएसएमई डे की थीम इनोवेशन, इंपेक्ट और इंटेलीजेंस रहने वाली हैं।
एमएसएमई सेक्टर का सीधा मतलब है माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइसेज। भारत में ये छोटे और मिडियम साइज के बिजनेस का एक सेक्टर हैं, जो मैन्यूफैक्चरिंग, सर्विस और बिजनेस सेक्टर में काम करते हैं। ये सेक्टर भारत की इकोनॉमी में मुख्य योगदान देता है, जैसे कि रोजगार के नए अवसर पैदा करना, इनोवेशन को बढ़ावा देना और इकोनॉमिक डेवलपमेंट में मदद करना।
आपको बता दें कि पहला एमएसएमई दिवस 27 जून 2017 को मनाया गया था। जो अप्रैल 2017 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली के द्वारा अपनाए गए प्रपोजल का रिजल्ट था। इस दिन की स्थापना के फैसले में एम्पॉयलमेंट जनरेशन, इनोवेशन, समावेशी आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से किया गया था। इस प्रपोजल में अलग पॉलिसी, प्रोग्राम और इनिशिएटिव के मिडियम से इन उद्यमों को सपोर्ट और बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया गया है।
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एमएसएमई ग्लोबल इकोनॉमी का एक अहम कंपोनेंट है, जो लगभग 90 प्रतिशत बिजनेस का प्रतिनिधित्व करता है, 70 प्रतिशत से ज्यादा रोजगार में योगदान देता है और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है। उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में, फॉर्मल एमएसएमई नेशनल इनकम यानी जीडीपी में 40 प्रतिशत तक का योगदान करते हैं। एमएसएमई दिवस सतत विकास और आर्थिक प्रगति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने का एक अवसर है, जिससे उनके योगदान के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ती है।