भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार (सौ. सोशल मीडिया )
India US Bilateral Trade Agreement: भारत और अमेरिका के बीच में पिछले काफी लंबे समय से द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है। अब खबर आ रही है कि भारत और यूएस की टीमों ने प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए के लिए 17 जुलाई को वाशिंगटन में 5वें दौर का बातचीत पूरी कर ली है।
एक ऑफिसर के द्वारा ये जानकारी दी गई कि वाशिंगटन में चलने वाली ये बातचीत 4 दिनों तक यानी 14 से 17 जुलाई तक चली है। जिसके बाद अधिकारी ने कहा है कि अब भारतीय टीम भारत वापस आ रही है।
आपको बता दें कि भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल वार्ता दल का नेतृत्व कर रहे हैं। ये विचार-विमर्श इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि दोनों पक्ष 1 अगस्त से पहले एक अंतरिम ट्रेड एग्रीमेंट को आखिरी रूप देने पर विचार कर रहे हैं, जब भारत सहित दर्जनों देशों पर लगाए गए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ 26 प्रतिशत की निलंबन अवधि का आखिरी दिन है।
इस साल 2 अप्रैल को, ट्रंप ने इन हाई रेसीप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी। टैरिफ के कार्यान्वयन को तुरंत 90 दिनों के लिए 9 जुलाई तक और फिर 1 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया था क्योंकि अमेरिका कई देशों के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है।
पांचवें दौर की वार्ता में कृषि और वाहन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं और ‘स्कॉमेट’ (विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी) से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा हुई। कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग पर भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। कुछ किसान संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि ट्रेड एग्रीमेंट में कृषि से जुड़े किसी भी मुद्दे को शामिल न किया जाए।
भारत इस 26 प्रतिशत के एडिशनल टैरिफ को हटाने की डिमांड कर रहा है। वह स्टील और एल्युमीनियम पर लगने वाले 50 प्रतिशत टैरिफ और वाहन पर लगने वाले 25 प्रतिशत टैरिफ क्षेत्रों पर टैरिफ में ढील की भी मांग कर रहा है। इनके विपरीत, भारत ने विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ के नॉर्म्स के अंतर्गत प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखा है।
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प्रस्तावित व्यापार समझौते में देश श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, अप्रैरल, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले के लिए टैरिफ रियायत की भी डिमांड कर रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, वाहन, विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पादों, कृषि वस्तुओं, डेयरी उत्पादों, सेब, मेवे और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर शुल्क रियायत चाहता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)