नवंबर में भारत की ग्रोथ रेट में गिरावट (सोर्स-सोशल मीडिया)
Eight Core Industries Performance: भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले ‘कोर सेक्टर’ (Core Sector) की रफ्तार नवंबर में धीमी पड़ गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर महज 1.8 फीसदी रह गई, जो पिछले साल 5.8 फीसदी थी।
कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और बिजली उत्पादन में आई गिरावट ने आर्थिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। चूंकि ये क्षेत्र देश के औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 40% से अधिक की हिस्सेदारी रखते हैं, इसलिए इनका सुस्त पड़ना पूरी इकोनॉमी के लिए खतरे की घंटी है।
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था जिन स्तंभों पर टिकी होती है, उन्हें ‘बुनियादी उद्योग’ कहा जाता है। भारत में इसमें 8 क्षेत्र शामिल हैं: कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली।
इन्हें ‘कोर सेक्टर’ इसलिए कहते हैं क्योंकि अन्य सभी उद्योग (जैसे ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग) इन्हीं से मिलने वाले कच्चे माल और ऊर्जा पर निर्भर करते हैं।
नवंबर 2024 में जहां यह विकास दर 5.8% थी, वहीं नवंबर 2025 में यह 1.8% पर आ गई है। इस सुस्ती के पीछे कच्चे तेल (Crude Oil) और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में कमी को मुख्य कारण माना जा रहा है।
हालांकि, अक्टूबर के मुकाबले स्थिति में मामूली सुधार हुआ है, क्योंकि अक्टूबर में ग्रोथ रेट गिरकर -0.1% तक पहुंच गई थी। पूरे वित्त वर्ष (अप्रैल-नवंबर) की बात करें तो यह 2.4% रही है, जो पिछले साल 4.4% थी।
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भारत सरकार ने ‘विजन 2030’ के तहत इन सेक्टर्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य रखा है। बुनियादी उद्योगों में निवेश कम होने से निजी क्षेत्र का भरोसा डगमगा सकता है। आने वाले समय में सरकार को बुनियादी ढांचे (Infrastructure) पर खर्च बढ़ाने और ऊर्जा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता होगी, ताकि औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार को फिर से पटरी पर लाया जा सके।