आईटीआर (सौ. सोशल मीडिया )
फिलहाल सैलरीड लोगों के बीच में इनकम टैक्स भुगतान का सीजन चल रहा है। जिन सैलरीड लोगों की सालाना इनकम टैक्स रिटर्न के दायरे के अंतर्गत आती है, वे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में लगे हुए हैं। पुरानी टैक्स रिजीम के अंतर्गत सामान्य सैलरी वाले इंसान को 2.50 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स फ्री है। हालांकि वरिष्ठ नागरिक के लिए 3 लाख रुपये तक की सालाना इनकम भी टैक्स फ्री हैं।
नई टैक्स रिजीम के अंतर्गत मिनिमम लिमिट 4 लाख रुपये तक है। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि क्या 2.5 लाख रुपये से कम की सालाना इनकम है, तो भी क्या इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए? अगर हां, तो ऐसा किन कंडीशन में संभव है, ये जानना आपके लिए काफी जरूरी होगा।
इनकम टैक्स से जुड़े नियमों के अनुसार, किसी भी इंडियन सिटीजन को आईटीआर तभी फाइल करना होता है, जब उसकी टैक्सेबल इनकम बेसिक डिडक्शन लिमिट से ज्यादा हो। अगर किसी भी व्यक्ति की सालाना इनकम इस लिमिट से कम है, तो उन्हें आईटीआर भरना जरूरी नहीं है। डिडक्शन की लिमिट अलग-अलग इनकम टैक्स सिस्टम यानी ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम के बेसिस पर अलग हो सकती है। पुरानी टैक्स रिजीम में ये लिमिट 2.50 लाख रुपये सालाना है।
भले ही आपकी ईयरली इनकम टैक्स डिडक्शन की लिमिट से कम हो, लेकिन फिर भी आपको कई विशेष परिस्थितियों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी हो जाता है।
1. सेविंग अकाउंट में 50 लाख से ज्यादा राशि होने पर : यदि किसी व्यक्ति ने पिछले वित्त वर्ष में 1 या उससे ज्यादा सेविंग्स अकाउंट में 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा डिपॉजिट किए हैं, तो आईटीआर भरना काफी जरूरी हैं।
2. 1 करोड़ से ज्यादा का डिपॉजिट : अगर किसी इंसान ने कमर्शियल या कॉर्पोरेट बैंक के करेंट अकाउंट में 1 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा की अमाउंट डिपॉजिट की है, तो आईटीआर भरना कंप्लसरी होता है। ये नियम बिजनेस से जुड़े लोगों पर लागू नहीं होता है।
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3. 60 लाख से ज्यादा का सेल्स टर्नओवर : यदि किसी का टोटल ईयरली सेल्स टर्नओवर 60 लाख रुपये से ज्यादा है, तो आईटीआर फाइल करना जरूरी है।
4. 10 लाख रुपये से ज्यादा प्रोफेशनल इनकम : यदि किसी भी इंसान की प्रोफेशनल इनकम पिछले वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा होती है, तो आईटीआर फाइल करना जरूरी है।