प्रतीकात्मक तस्वीर
Income Tax New Rule: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर अब सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स, इन्फ्लुएंसर्स और फ्यूचर एंड ऑप्शंस यानी (F&O) ट्रेडर्स सहित अन्य लोगों पर है। इन लोगों से टैक्स वसूली के लिए अब विभाग ने बदलाव करते हुए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR-3) में पांच नए पेशेवर कोड को शामिल किया है। इसका मतलब कि इन लोगों को आईटीआर-3 फाइल करना होगा और इसके तहत अपनी कमाई भी बतानी होगी।
आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आईटीआर यूटिलिटीज के तहत 16021 नामक नया कोड पेश किया है। यह उन इन्फ्लुएंसर्स पर लागू होता है, जो प्रमोशन, प्रोडक्टर का विज्ञापन या डिजिटल कंटेंट से पैसा बनात हैं। इस कोड को आईटीआर-3 और आईटीआर-4 दोनों में प्रोफेशन कैटेगरी के अंतर्गत देखा जा सकता है। इससे क्रिएटर्स, ऑनलाइन कोच और ब्लॉगर्स के लिए अनुपालन आसान हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोई इंफ्लुएंसर सेक्शन 44एडीए के तहत अनुमानित टैक्सेशन कराधान का विकल्प चुन रहा है, तो उसे आईटीआर-4 का उपयोग करना चाहिए। हाल ही में इनकम टैक्स में हेराफेरी करने वालों पर लगाम लगाने को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है। दरअसल, आयकर विभाग अब डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेने जा रहा है। इससे आय की गलत जानकारी देने या छिपाने वालों की आसानी से पहचान किया जा सकेगा।
नए इनकम टैक्स कानून में इस व्यवस्था को जोड़ा गया है। इससे जुड़ा हुआ विधेयक संसद के मानसून सत्र में ही पास होने वाला है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने एक इंटरव्यू के दौरान यह जानकारी दी है। सीबीडीटी के चेयरमैन ने बताया कि आयकर विभाग के पास कुल 6.5 अरब डॉल र से ज्यादा डिजिटल लेनदेन की जानकारी है। इसके साथ ही विदेशों से भी जानकारी मिल रही है। इससे टैक्स में हेराफेरी को पकड़ना और उसको रोकना काफी आसाना हो जाएगा।
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रवि अग्रवाल ने डिजिटल रिकॉर्ड तक आयकर विभाग के अधिकारियों की पहुंच को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि यह अधिकार केवल और केवल तलाशी और जब्ती के मामलों तक ही सीमित है। ऐसा तब होता है जब कोई भी टैक्सपेयर अपने आय की सही जानकारी छुपाता है या देने से इनकार करता है। इस सुविधा का मकसद आम लोगों पर जासूसी करना नहीं है।