अमित शाह, (केंद्रीय, गृहमंत्री)
GST Slab Change: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में बड़े बदलाव के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सभी हितधारकों राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सर्वसम्मति बनाने के लिए चर्चा शुरू करने जा रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य विवादित मुद्दों को सुलझाना और प्रक्रिया को रफ्तार देना है। हालांकि, इसमें सबसे अहम प्रस्ताव 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब को खत्म करना है, जो लंबी समय से लंबित है। इस बदलाव के जरिे कुछ वस्तुओं को 5 प्रतिशत और कुछ को 18 प्रतिशत स्लैब में शिफ्ट किया जाएगा। इससे जीएसटी में जटिल मल्टी रेट स्ट्रक्चर सरल होगी। वहीं, केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर करीब 70,000 से 80,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार, जीएसटी के 8 साल के बाद सिस्टम स्थिल हुई है, ऐसे में यह बदलाव आसान नहीं होगा। विपक्षी या बीजेपी शासित, कोई भी राज्य इस प्रस्ताव को आसानी से स्वीकर नहीं करेगा। सरकार के राजस्व का नुकसान एक बड़ी चिंता है। इस खतरे को देखते हुए अमित शाह पहले ही राज्यों के साथ लंबी चर्चा करने की योजना बना रहे हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से भी बातचीत की है।
मौजूदा समय जीएसटी सिस्टम में कई रेट हैं। जैसे कि- 0%, 5%, 12%, 18% और 28%, जिनके अलावा लग्जरी वस्तुओं पर सैस और कीमती धातुओं के लिए विशेष प्रावधान हैं। जीएसटी रेट में सरलीकरण का प्रस्ताव कई राज्यों को पसंद नहीं आ रहा है। उदहारण के लिए, दो गैर-भाजपा शासित राज्यों ने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीसेटी 18 प्रतिशत घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं, जबिक कुछ राज्य इसे पूरी तरह से टैक्स फ्री करने का प्रस्ताव रख रहे हैं।
जीएसटी परिषद की किसी एक बैठक में बड़े बदलाव पारित नहीं हो पाएगी। चूंकि इन फैसलों पर मतदान भी सकता है, इसलिए व्यापक सहमति जरूरी है। जीएसटी रेट को और आसान बनाने पर पिछले चार साल से चर्चा चल रही है। सितंबर 2021 में परिषद ने इसकी आवश्यकता स्वीकार की थी, लेकिन फरवरी 2024 में भी 12% स्लैब बररार रखने का प्रस्ताव आया था, जो स्लैब कम करने के लक्ष्य के विपरीत था। अब इस पर पुनर्विचार होगा।
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बता दें कि 12 प्रतिशत स्लैब में पैकेज्ड खाद्य पदार्थ (गाढ़ा दूध, ड्राई फ्रूट्स, सॉस, फ्रूट जूस) घरेलू सामान (कपास, जूट, बैग, फर्नीचर, सिलाई मशीन) और मेडिकल उत्पाद (मेडिकल ऑक्सीजन, पट्टियां, डायग्नोस्टिक किट) शामिल हैं। वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी राजस्व का 70-75 प्रतिशत 18 प्रतिशत स्लैब से आता है, जबकि 12 प्रतिशत स्लैब का योगदान केवल 5-6 प्रतिशत है।