मुंबई : फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर की कंपनियों के शेयर (Share) डिफेंसिव स्टॉक माने जाते हैं क्योंकि आमतौर पर इनमें सबसे कम उतार-चढ़ाव आता है। इनमे बंपर रिटर्न की संभावना तो कम होती है, परंतु नियमित लाभांश (Dividend) के साथ लॉन्ग टर्म (Long Term) में अच्छे रिटर्न (Return) की उम्मीद अवश्य रहती है। इसलिए हर संस्थागत निवेशक (Institutional investor) अपने पोर्टफोलियो में बड़ी FMCG कंपनियों के शेयरों को हमेशा रखता है।
जब बाजार गिरता है तो निवेशक FMCG सेक्टर के शेयरों में निवेश करने पर फोकस करते हैं। वर्तमान में बढ़ती रॉ मैटेरियल कीमतों (Raw Material Prices) के कारण FMCG सेक्टर में ग्रोथ (Sales Growth) धीमी होने के साथ लाभ मार्जिन पर प्रेशर (Pressure On Profit Margins) बना हुआ है। क्रुड ऑयल (Crude Oil), पाम तेल (Palm Oil), चाय (Tea), कॉफी (Coffee) और अन्य रॉ मैटेरियल की कीमतों में इस साल विश्व स्तर पर आई भारी तेजी के कारण इस सेक्टर की अधिकांश कंपनियों के लाभ मार्जिन पर असर पड़ा है।
कंपनियों ने लाभ मार्जिन को कायम रखने के लिए अपने सभी उत्पादों के मूल्य (Product Prices) बढ़ा दिए हैं। मूल्य वृद्धि के कारण इनकी बिक्री प्रभावित हुई है। विशेषकर ग्रामीण बाजारों में बिक्री कम हुई है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता अक्सर उत्पाद महंगे होने पर अपने उपभोग और खरीद में कटौती कर देते हैं। इस वजह से दिग्गज कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट का रूख है। विगत 3 से 4 महीनों में सेक्टर की टॉप 10 कंपनियों के शेयरों में केवल नेस्ले को छोड़ अन्य सभी में 10 से 20% की गिरावट आई है। विश्लेषकों का मानना है कि देश की प्रमुख FMCG कंपनियों के शेयरों में आई गिरावट निवेशकों के लिए एक अच्छा मौका है। निवेशक इन ब्ल्यूचिप शेयरों (Blue-Chip Stocks) को खरीद कर अपने निवेश पोर्टफोलियो को अच्छा बना सकते हैं। अगली एक-दो तिमाही में जैसे ही मार्जिन प्रेशर कम होगा और ग्रोथ तेज होगी, इनके शेयरों में फिर तेजी का रूख बनने की उम्मीद है। इसके संकेत दिखने लगे हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक, फेस्टिव सीजन के दौरान देश भर में विशेषकर शहरी क्षेत्रों में FMCG उत्पादों की अच्छी मांग रही और कंपनियों के कारोबार में औसतन 12% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज हुई। अब देश भर में वैवाहिक सीजन में भी मांग बढ़ने से कंपनियों को अच्छे कारोबार की उम्मीद है। साथ ही अब क्रुड ऑयल, पाम तेल, चाय तथा अन्य कमोडिटीज की कीमतों में भी तेजी को ब्रेक लग गया है औक कमोडिटी कीमतों में गिरावट भी आ रही है। जिससे मार्जिन पर दबाव कम होने की संभावना बनी है। साथ ही आगे सभी का मुनाफा भी बढ़ सकता है क्योंकि FMCG सेक्टर की अधिकांश कंपनियां एक बार मूल्य वृद्धि कर देती हैं तो फिर घटाती नहीं है, बढ़ी हुई कीमतों पर ही बेचती हैं।
FMCG सेक्टर की दिग्गज कंपनियों के शेयरों ने लॉन्ग टर्म (Long Term) में हमेशा बढ़िया रिटर्न दिया है और निवेशकों की वैल्थ (Wealth) क्रिएट की है। यदि विगत 5 वर्षों का रिटर्न देखे तो सबसे बड़ी कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर (Hindustan Uniliver) का शेयर करीब 3 गुना हो चुका है। विगत 5 वर्षों में 180% की तेजी के बाद अब इसका शेयर अपने सर्वोच्च स्तर से 18% नीचे चल रहा है। इसी तरह नेस्ले (Nestle) के शेयर में 5 वर्षों में 200% की तेजी आई है। जबकि ब्रिटानिया (Britannia industries) के शेयर में 134% और डाबर (Dabur) में 107% की तेजी दर्ज हुई है। गोदरेज कंज्यूमर (Godrej Consumer) में 85% और मैरिको (Marico) में 110% की तेजी आई है।
सबसे ज्यादा वेल्थ क्रिएट टाटा कंज्यूमर (Tata Consumer Products) में हुई है। टाटा ग्रुप (Tata Group) द्वारा इसकी ग्रोथ पर विशेष फोकस करने से इसके शेयर में 6 गुना से ज्यादा यानी 526% का उछाल आया है। विश्लेषक आगे भी टाटा कंज्यूमर में तेज ग्रोथ की उम्मीद जता रहे हैं। केवल आईटीसी (ITC) ही एक ऐसा शेयर है, जिसमें विगत 5 वर्षों में कोई रिटर्न नहीं दिया है बल्कि 6% नुकसान में ही है। इसका मुख्य कारण है इसका सिगरेट बिजनेस, जिसमें मुनाफा तो खूब है, लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशक, खासकर यूरोपीयन फंड इसमें बिकवाली कर रहे हैं। हालांकि अब आईटीसी FMCG बिजनेस को आगे बढ़ा रही है और लाभांश देने में सबसे आगे है। इसका डिविडेंड यील्ड (Dividend Yield) 6% से अधिक है।
एक्सिस सिक्युरिटीज (Axis Securities) की सीनियर रिसर्च एनालिस्ट सुवर्णा जोशी का कहना है कि FMCG सेक्टर की सभी दिग्गज कंपनियां डेब्ट फ्री (Debt Free) और कैश रिच (Cash Rich) हैं। वर्तमान में भले ही मार्जिन प्रेशर के कारण गिरावट का रूख है, लेकिन इस सेक्टर की प्रमुख कंपनियां अपने बिजनेस सेगमेंट में मार्केट लीडर (Market Leader) हैं और इनका काफी मजबूत ट्रैक रिकार्ड रहा है। कमोडिटी कीमतों में आई तेजी के कारण पिछली 2 तिमाही से इनके लाभ मार्जिन पर प्रेशर है, लेकिन उत्पाद मूल्य वृद्धि से इस तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में प्रेशर कम होगा है। हाल ही में क्रुड ऑयल, पाम तेल व अन्य कमोडिटीज में गिरावट आने से अगली तिमाही में मार्जिन बढ़ने की उम्मीद है। शहरी क्षेत्रों में डबल डिजिट में ग्रोथ है, लेकिन रूरल मार्केट में बिक्री प्रभावित होने से थोड़ी चिंता भी है, परंतु आगे वृद्धि के आसार हैं। कुल मिलाकर निवेशकों के लिए इस गिरावट के दौर में निवेश करना लॉन्ग टर्म में काफी फायदेमंद होगा। FMCG शेयरों में हिंदुस्तान यूनीलीवर और डाबर सबसे अच्छे लग रहे हैं।