अनिल अंबानी (सोर्स- सोशल मीडिया)
ED Summons Anil Ambani: अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए समन भेजा है। अनिल अंबानी को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में हुए कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 14 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले, ईडी ने अगस्त में भी उनसे पूछताछ की थी।
हाल ही में एजेंसी ने अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़ी 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की थीं। हालांकि, इतनी बड़ी संपत्ति की कुर्की के बावजूद अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है। शेयर बाजार को दी गई जानकारी में समूह की कंपनियों ने बताया कि ईडी द्वारा कुर्क की गई अधिकांश संपत्तियां रिलायंस कम्युनिकेशंस की हैं, जो फिलहाल समाधान पेशेवर और एसबीआई के नेतृत्व वाली कर्जदाताओं की समिति (CoC) के नियंत्रण में हैं।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर ने स्पष्ट किया है कि कुर्की का उनके संचालन, प्रदर्शन या भविष्य की संभावनाओं पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है। दोनों कंपनियां सामान्य रूप से काम कर रही हैं और वृद्धि, परिचालन उत्कृष्टता तथा अपने 50 लाख से अधिक शेयरधारक परिवारों के प्रति प्रतिबद्धता पर केंद्रित हैं।
ईडी ने 31 अक्टूबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत 42 संपत्तियों की कुर्की के लिए चार अस्थायी आदेश जारी किए थे। इनमें अनिल अंबानी का मुंबई के पाली हिल स्थित पारिवारिक आवास, तथा उनकी समूह कंपनियों की अन्य आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियां शामिल हैं। यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस और उससे संबंधित कंपनियों से जुड़े उन मामलों से संबंधित है, जिनमें 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए ऋण के कथित दुरुपयोग के आरोप हैं।
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ED की जांच के बाद अब कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय (MCA) भी अनिल अंबानी के ADAG समूह की जांच करेगा। मंत्रालय ने अपनी एजेंसी ‘सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस’ (SFIO) को रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और CLE प्रा. लि. की जांच सौंपी है। यह कार्रवाई बैंकों और ऑडिटरों की शिकायतों के बाद हुई, जिनमें वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे थे। जबकि CBI और ED पहले ही धन के लेन-देन की जांच कर रहे हैं, SFIO अब कॉरपोरेट गवर्नेंस की खामियों, संभावित ऑडिटर या बैंक की लापरवाही, और शेल कंपनियों के जरिए धन के हेरफेर की जांच करेगा।