डोनाल्ड ट्रंप (सौजन्य : सोशल मीडिया)
चेन्नई : अमेरिका के चुनाव नतीजे सामने आने के बाद से ही भारत में भी जश्न का माहौल बना हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अर्थशास्त्री सूर्या नारायण ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भारत के एक्सपोर्ट बिजनेस को फायदा हो सकता है।
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि अमेरिकी चुनावों में ट्रंप के आगे निकलने से भारत को निर्यात की अपार संभावनाएं मिल सकती है, क्योंकि अमेरिका ने निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी
वस्तुओं पर 60 प्रतिशत ड्यूटी लगाने का दावा किया है।
एएनआई से हुई बातचीत के दौरान अर्थशास्त्री सूर्या नारायण ने कहा है कि आज भारत के लिए अच्छा दिन है। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के चुनाव का भारतीय अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, विश्व व्यापार और शांति पर बहुआयामी प्रभाव पड़ेगा। इस चुनाव में हमारे अलग-अलग पहलू होंगे। इस चुनाव में ट्रंप के आगे निकलने से भारत को निर्यात की अपार संभावनाएं मिलेंगी, क्योंकि ट्रंप ने अपने चुनावी भाषणों में कई बार बताया है कि चीनी वस्तुओं पर 60 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि यह भारत के लिए वस्तुओं, खासकर कृषि और फार्मा से संबंधित अन्य उत्पादों के निर्यात का अवसर है। साथ ही उन्होंने आगे ये भी कहा है कि भारत के पास अमेरिका को कृषि और दवा उत्पादों सहित अधिक वस्तुओं का निर्यात करने का अवसर है।
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अर्थशास्त्री सूर्या नारायण ने कहा है कि भारत पहले से ही अमेरिका को दवा उत्पादों के निर्यात में शीर्ष पर है। कई दवा कंपनियां अपने उत्पाद अमेरिका को निर्यात कर रही हैं। अब भारत के लिए अधिक वस्तुओं का निर्यात करने का शानदार अवसर है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप के बहुत करीबी मित्र हैं। ट्रंप की जीत का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने महत्वपूर्ण युद्ध के मैदानों में जीत हासिल करने के बाद राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल हासिल किया है। यह जीत ट्रंप के लिए एक महत्वपूर्ण वापसी है, जो 2020 में राष्ट्रपति जो बिडेन से फिर से चुनाव हार गए थे। विदेशी भारतीय संघ के अध्यक्ष अविनाश गुप्ता का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप के अच्छे तालमेल से भारत-अमेरिका संबंध मजबूत होंगे। उन्होंने मुद्रास्फीति, खुली सीमाओं और चल रहे युद्धों जैसे स्थानीय कारकों को भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं को प्रभावित करने वाली प्रमुख चिंताओं के रूप में उद्धृत किया।