डॉ. मनमोहन सिंह (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह दुनिया ने कल रात एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। डॉ. मनमोहन सिंह की पहचान दुनिया के सबसे बेहतरीन अर्थशास्त्रियों के रुप में जाने जाते हैं। वे साल 2004 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद साल 2009 में यूपीए 2 सरकार के दौरान भी वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री के रुप में काम किया था। हालांकि उन्हें पहचान उनके इकोनॉमिकल नॉलेज के कारण मिली थी।
डॉ. मनमोहन सिंह ने प्लानिंग कमीशन से लेकर आरबीआई के गवर्नर और वित्त मंत्री तक का काम किया था। जब वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रहते हुए प्लानिंग कमीशन का भी काम किया था। जिसके बाद उन्हें देश का इकोनॉमिक एडवाइजर भी बनाया गया था। उसके बाद में उन्हें प्लानिंग कमीशन और उसके बाद आरबीआई गवर्नर और बाद में वित्त मंत्री बनाया गया था।
साल 1972 में डॉ. मनमोहन सिंह को पहली बार देश का चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर बनाया गया था। इससे पहले वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रुप में काम किया था। इस दौरान इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी। उन्होंने ही मनमोहन सिंह को इकोनॉमिक एडवाइजर के तौर पर भी चुना था। उन्हें इकोनॉमिक एडवाइजर बनाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण ये था, क्योंकि सिंह ने यूएनसीटीएडी में भी काम किया था। उनकी प्रतिभा को देखते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के रुप में चुना था।
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के रुप में काम करने के बाद उनकी प्रतिभा और इकोनॉमिक्स के बारे में ज्ञान को देखते हुए उन्हें आरबीआई के गवर्नर के तौर पर चुना था। ये भी कहा जाता है कि वे देश के ऐसे पहले और इकलौते प्रधानमंत्री थे, जिनकी साइन देश के नोटों पर दिखायी दिए थे। साल 1982 में, उन्हें वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अंडर आरबीआई के गवर्नर के रुप में चुना गया था और वे 1985 तक आरबीआई के गवर्नर थे। हालांकि कुछ सूत्रों ने ये भी जानकारी दी थी कि आरबीआई के गवर्नर रहते हुए इंदिरा गांधी से रिश्ते खराब हुए थे।
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साल 1985 के बाद मनमोहन सिंह ने प्लानिंग कमीशन से लेकर यूजीसी तक कई बड़े पदों पर काम किया था। साल 1991 तक देश की राजनीति से लेकर इकोनॉमी में कई तरह के बदलाव हुए थे। उस समय देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे, तब देश की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। इस मुश्किल दौर में देश की इकोनॉमी की बागडोर मनमोहन सिंह के हाथों में सौंपी थी। जून 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के तौर पर चुना था।