(डिजाइन फोटो/ नवभारत लाइव)
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने संसद में बजट सत्र के दौरान केंद्र सरकार के हालिया बजट को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बजट में कोई दूरदृष्टि नहीं है बल्कि यह सिर्फ चुनाव से प्रेरित था। इनकम टैक्स में हुई कटौती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ मध्यम वर्ग को ही फायदा नहीं होगा बल्कि इससे अमीरों को भी बहुत फायदा होगा। उन्होंने बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि टैक्स कटौती से एक लाख करोड़ का नुकसान होगा, तो नेट कलेक्शन 11 फीसदी कैसे बढ़ेगा। ये जादू है या गणित?
संसद के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि बजट में इनकम टैक्स में हुई कटौती पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है, जबकि सिर्फ 3.2 करोड़ लोग ही इनकम टैक्स देते हैं। बाकी लोग रिटर्न तो भरते हैं, लेकिन टैक्स कुछ नहीं देते। सरकार ने टैक्स छूट की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख कर दी है।
पी चिदंबरम ने कहा कि मेरा अनुमान है कि इससे 80-85 लाख लोग टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे और करीब 2.5 करोड़ लोगों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इस फायदे में सिर्फ मध्य वर्ग ही नहीं, बल्कि अमीर लोग भी शामिल हैं। कांग्रेस नेता ने आगे कहाकि इन 2.5 करोड़ लोगों में न केवल मध्यम वर्ग शामिल है, जिसकी वित्त मंत्री ने पूरे उत्साह से वकालत की थी, बल्कि इसमें 2,27,315 ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं, जिन्होंने एक करोड़ से अधिक का रिटर्न भरा है। इसमें 100 करोड़ से अधिक का रिटर्न भरने वाले 262 व्यक्ति और 500 करोड़ से अधिक का रिटर्न भरने वाले 23 व्यक्ति शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे सिर्फ मिडिल क्लास को ही फायदा नहीं होगा बल्कि इससे अमीर से अमीर लोगों को भी राहत मिलेगी।
चिदंबरम ने कहा कि बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी दावा है कि उन्होंने ₹1 लाख करोड़ का त्याग किया है। इसके बाद उन्होंने दावा किया कि केंद्र का शुद्ध टैक्स रेवन्यू 2025-26 में 11.1% बढ़ जाएगा। सवाल यह है कि इस बजट में ₹1 लाख करोड़ छोड़ने के बाद, वह कैसे दावा करती हैं कि केंद्र द्वारा नेट टैक्स रेवेन्यू उसी 11% की दर से बढ़ेगा? ये सिर्फ जादू ही हो सकता है। इस दौरान चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री को मेरी विनम्र सलाह है कि विकास के केवल एक इंजन पर निर्भर न रहें। निर्यात और पूंजीगत व्यय जैसे अन्य इंजन भी हैं, जिन्हें बढ़ाया जाना चाहिए।
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कांग्रेस के दिग्गज नेता ने सरकारी डेटा का हवाला देते हुए कहा कि 2012 से 2024 के बीच खाने-पीने की चीजों की महंगाई 6.18 फीसदी शिक्षा की महंगाई 11 फीसदी और स्वास्थ्य सेवाओं की महंगाई 14 फीसदी रही। उन्होंने कहा कि इसने भारतीय परिवारों को अपंग बना दिया है। घरेलू बचत 25.2 फीसदी से गिरकर 18.4 फीसदी हो गई है। उन्होंने मनरेगा और अन्य योजनाओं का पैसा न बढ़ाने पर भी केंद्र सरकार को घेरा।