शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप (सौ. सोशल मीडिया )
ताइपे (ताइवान): डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी थी। इसका सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा था, जिसपर अमेरिका ने 145 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था। अमेरिकी टैरिफ से पैदा होने वाले ट्रेड वॉर से निपटने के लिए चीन समेत अन्य देशों के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है। चीन ने मंगलवार को बीजिंग में आयोजित एक प्रोग्राम में लैटिन अमेरिकी नेताओं के साथ मंच साझा कर एकजुट मोर्चा पेश किया।
चीन के नेताओं ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी और अन्य पॉलिसी से पैदा होने वाली अनिश्चितता एवं अस्थिरता के बैंकग्राउंड में खुद को एक विश्वसनीय ट्रेड और ग्रोथ पार्टनर के रूप में पेश किया है। साथ ही अमेरिका और चीन ने हाल ही में एक-दूसरे पर लगाए भारी टैरिफ में से ज्यादातर पर 90 दिन की रोक लगाने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनने की सोमवार को जानकारी दी थी।
अमेरिका के साथ टेंशन कम करने के लिए कदम उठाने के साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने यहां चीन-सीईएलएसी यानी लैटिन अमेरिकी व कैरेबियाई देशों के समुदाय फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन विशुद्ध राजनीतिक तथा गुटीय टकराव की बढ़ती हुई स्थिति तथा एकतरफावाद एवं संरक्षणवाद की बढ़ती लहर से निपटने के लिए लैटिन देशों के साथ हाथ मिलाने को तैयार है। इस फोरम की शुरुआत 2015 में की गई थी। उन्होंने कहा है कि टैरिफ वॉर या ट्रेड वॉर से किसी की जीत नहीं होती।
चीन ने अमेरिकी टैरिफ को लेकर भी कई बार इसी तरह की बात कही है। फोरम में हिस्सा लेने वाले लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई अधिकारियों में चिली, ब्राजील और कोलंबिया के राष्ट्रपति शामिल हैं। शी ने चीन और लैटिन अमेरिकी देशों के बीच गहरे संबंध बनाने के लिए राजनीतिक आदान-प्रदान, इकोनॉमिक ग्रोथ, सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक आदान-प्रदान और ग्लोबल सिक्योरिटी पर केंद्रित 5 कार्यक्रमों का ऐलान किया है।
उन्होंने इस सेक्टर से इंपोर्ट को बढ़ावा देने और चीनी कंपनियों को वहां अपना इंवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने का वादा किया। शी ने लैटिन अमेरिकी तथा कैरेबियाई फाइनेंशियल हेल्प का सपोर्ट करने के लिए 66 अरब युआन यानी 9.2 अरब डॉलर की नई ‘क्रेडिट लाइन’ की भी घोषणा की। चीन ग्रीन एनर्जी, 5जी टेलीकॉम, डिजिटल इकोनॉमी, आर्टिफिशियस इंटेलीजेंस और ग्लोबल सिक्योरिटी में भी सहयोग बढ़ाने की प्लानिंग बना रहा है।
इस क्षेत्र के साथ चीन का ट्रेड तेजी से बढ़ रहा है, जो पिछले साल पहली बार 500 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया। इस ग्रोथ का एक बड़ा हिस्सा सोयाबीन तथा गोमांस सहित कृषि उत्पादों के बढ़ते चीनी इंपोर्ट के साथ ही क्रूड ऑयल, लौह अयस्क तथा महत्वपूर्ण खनिजों जैसे एनर्जी इंपोर्ट से आया है।
‘बेल्ट एंड रोड पहल’ यानी बीआरआई के माध्यम से इस सेक्टर में चीन के इंवेस्टमेंट में 5जी नेटवर्क स्थापित करना और पोर्ट्स और हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट का निर्माण शामिल है। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने सोमवार को घोषणा की थी कि उनका देश औपचारिक रूप से बीआरआई में शामिल होगा। पनामा ने अमेरिका के दबाव में फरवरी में इस पहल से अलग होने का फैसला किया था। वह ऐसा करने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश है।
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इस महीने की शुरुआत में, चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता बीवाईडी और स्टेनलेस स्टील निर्माता त्सिंगशान ने घोषणा की कि वे लिथियम की गिरती कीमतों के कारण चिली में लिथियम कैथोड प्लांट बनाने की योजना पर आगे नहीं बढ़ेंगे। इसके अलावा चीन अगले तीन वर्षों में सालाना लैटिन अमेरिकी राजनीतिक दलों के 300 सदस्यों को चीन आमंत्रित करने और 3,500 सरकारी छात्रवृत्ति एवं विभिन्न प्रकार की अन्य आदान-प्रदान सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहा है। शी ने कहा कि पांच लैटिन अमेरिकी देशों को चीन की यात्रा के लिए वीजा छूट मिलेगी। इसके बाद अन्य देशों को भी यह सुविधा दी जाएगी। हालांकि यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि कौन से देश वीजा मुक्त होंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)