ट्रंप के टैरिफ से खतरें में लाखों नौकरियां, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Donald Trump Tariff on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के ऊपर 25 प्रतिशत बेलाइन टैरिफ के बाद लगाए गए 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ से देश के कई उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है। कई सेक्टर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। इसी कड़ी में चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि 50 प्रतिशत टैरिफ देश के कई बड़े उद्योगों को तबाह कर सकता है। इसके साथ ही लाखों नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं।
सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ का भारत के टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स और ज्वेलरी, ऑटो कॉम्पोनेंट, केमिकल, फार्मा, सीफूड इंडस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी तमाम उद्योगों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इतनी हाई टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान अन्य प्रतिस्पर्धियों के तुलना में 35 प्रतिशत तक महंगा हो जाएगा, जिससे खरीदार दूसरे देशों में बनी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे।
चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के मुताबिक, टैरिफ के इस कदर बढ़ने से 48 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा मूल्य के भारतीय एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है। इंजीनियरिंग गुड्स जैसे सेक्टर, जो कि पिछले साल करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट किए थे, को बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। इसी तरह, 90 हजार करोड़ रुपये के जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ते भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्टस पर भी गंभीर संकट देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद जिस उत्पादों पर अब तक 10 प्रतिशत टैरिफ लगता था, वो बदलकर 50 प्रतिशत हो जाएगा, जिससे अमेरिकी ग्राहकों की खरीदारी लागत में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी। बीते साल 92,000 करोड़ रुपये मूल्य के दवा निर्यात को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पहले जो दवाइयां अमेरिका में ड्यूटी फ्री थी, अब उनकी कीमतों में भी इजाफा हो जाएगा, जिससे भारतीय दवा कंपनियां वियतनाम जैसे दूसरे सप्लायर के मुकाबले नुकसान में रहेंगी।
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बता दें कि इन सभी नुकसानों के बावजूद भी सीटीआई ने सरकार को सुझाव दिया है कि भारत को अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। अमेरिकी उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाकर हम कड़ा जवाब दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को इस दबाव से नहीं डरना चाहिए। हमें अमेरिकी इंपोर्ट पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में अन्य देशों में नए बाजार तलाशने चाहिए। हमें जवाबी शुल्क लगाकर अमेरिका को सबक सिखाना होगा।