सिन टैक्स ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत में अलग अलग प्रोडक्ट्स पर कई प्रकार के टैक्स लगाए जाते है। इन्हीं टैक्सों में से एक है सिन टैक्स। सिन टैक्स को पाप कर भी कहा जाता है। ये टैक्स हानिकारक माने जाने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है। 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट से पहले इस टैक्स को लेकर बड़ी बात सामने आ रही है।
आम बजट से पहले कयास लगाए जा रहे है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार के बजट में इस सिन टैक्स की दर को बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। ये टैक्स को लगाने के पीछे का उद्देश्य उन हानिकारक व्यावसायिक प्रथाओं को नकारात्मक करना है जिससे समाज और स्वास्थ्य पर अनुचित प्रभाव पड़ता है।
सिन टैक्स या ‘पाप का टैक्स’ एक प्रकार का पिगोवियन टैक्स है, जो हानिकारक मादक पदार्थों पर लगाया जाता है। पिगोवियन टैक्स को लगाने के पीछे का उद्देश्य ऐसे हानिकारक पदार्थों को महंगा करना है, जिससे आपके स्वास्थ्य और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन मादक पदार्थों पर जो सिन टैक्स लगता है उसकी दर को हमेशा महंगा रखा जाता है ताकि उसे खरीदने से पहले व्यक्ति को विचार करना पड़े । ये टैक्स विशेषकर तंबाकू, शराब, नशीले पदार्थ, जुआ और चीनी की मात्रा अधिक वाले सामानों पर लगाया जाता है।
तंबाकू, शराब, नशीले पदार्थ, जुआ और चीनी की अधिक मात्रा वाले सामानों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। इसीलिए सरकार इन उत्पादों पर सिन टैक्स लगाती है। इस सिन टैक्स को लगाने के पीछे का एक उद्देश्य ये भी है कि इन हानिकारक उत्पादों की उपयोगिता को कम किया जा सके। सरकार इन उत्पादों पर सिन टैक्स लगाकर इन उत्पादों की कीमत में बढ़त कर देती है, ताकि लोग इसका उपयोग कम कर दे। इसकी उपयोगिता में कमी होने से समाज में सुधार किया जा सकता है।
भारत में तंबाकू, शराब, नशीले पदार्थ, जुआ और चीनी की अधिक मात्रा वाले सामानों पर सिन टैक्स लगाया जाता है। इस बार के बजट में इन पदार्थों पर लगने वाले सिन टैक्स की दर को बढ़ाया जा सकता है। निर्मला सीतारमण इस टैक्स की दर का दायरा बढ़ाने का ऐलान कर सकती है।