मनोज झा और फैज अहमद, फोटो - सोशल मीडिया
पटना : वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर देशभर की सियासत में उबाल है। अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। राज्यसभा सांसद मनोज झा और पार्टी नेता फैज अहमद सोमवार, 07 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे। उनका तर्क है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर गहरा असर डाल सकता है और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट करता है।
इससे पहले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद भी 04 अप्रैल को इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं। उनकी याचिका में कहा गया है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों का प्रबंधन), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों को सीमित करता है, जो अन्य धार्मिक न्यासों पर लागू नहीं होते।
विधेयक के खिलाफ कांग्रेस, आरजेडी, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी और कई संगठनों ने कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। वहीं, नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ ने भी इस विधेयक को चुनौती दी है।
हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी अब इस मुद्दे पर कोर्ट नहीं जाएगी। उन्होंने इसे ‘फाइल क्लोज’ करार देते हुए विधेयक को एक ‘व्यापारिक सौदा’ बताया, न कि अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए उठाया गया कदम।
इस विवाद के बीच, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही ये दोनों विधेयक अब कानून बन चुके हैं। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक “ऐतिहासिक पल” बताया और कहा कि यह कानून उन लोगों के लिए मददगार साबित होगा जो अब तक वंचित और हाशिये पर रहे हैं।
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वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और आधुनिक बनाना है। इसमें तकनीक के उपयोग से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान बनाना, विवादों के समाधान में तेजी लाना और संपत्ति के दुरुपयोग को रोकना शामिल है। यह विधेयक वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करता है और 1923 के मुस्लिम वक्फ अधिनियम को पूरी तरह निरस्त करता है।