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Endless Story Of Crime Legend Anant Singh: दादा दुलारचंद यादव बाहुबली नेता अनंत सिंह के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ाई लड़ रहे थे। लेकिन, अनंत सिंह और उनके लोगों ने उनकी हत्या कर दी। दुलारचंद यादव के पोते रविरंजन ने पत्रकारों से बात करते हुए ये बातें कही। उसने आगे कहा कि ‘हम पढ़े-लिखे लोग हैं, एके-47 वाले नहीं हैं। पुलिस और प्रशासन से न्याय नहीं मिलने पर एके-47 उठाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
हालांकि इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। लेकिन,दुलारचंद यादव के परिजन पुलिस पर अनंत सिंह की मदद करने का आरोप लगते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। ऐसा नहीं होने पर बाहुबली अनंत सिंह के खिलाफ एक तरह से जंग का ऐलान दुलारचंद यादव का पोता रवि रंजन ने किया है। रवि रंजन के साथ बाहुबली सूरजभान सिंह खड़े हैं। इससे साफ हैकि मोकामा में चुनाव से पहले या चुनाव के बाद एक बार खूनी संघर्ष जरुर होगा।
साल 2025 के विधानसभा चुनाव में दिए हलफनामे में अनंत सिंह ने अपने ऊपर 48 आपराधिक मामलों का विवरण दिया था। चुनावी हलफनामे के मुताबिक अनंत सिंह पर पहला मामला मई 1979 में दर्ज हुआ था। यह मामला हत्या से जुड़ा है। पटना के बाढ पुलिस
थाने में दर्ज किया गया था। यह कोई पहली और अन्तिम घटना नहीं है। अपराध का यह सफर यहां से जो शुरू हुआ वह पिछले चार दशक से जारी है। मोकामा ही नहीं पूरे बिहार में अनंत सिंह का अपराध की दुनिया में सिक्का चल रहा है। अनंत सिंह
पर धमकी देने से लेकर चोरी, डकैती, हत्या, हत्या के प्रयास और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने तक के आरोप लगे हैं।
64 वर्षीय अनंत सिंह का किसी अपराध में सबसे पहला नाम उस समय आया जब वो मात्र नौ साल के थे। इसके बाद तो उनका नाम अपराध और अपराधियों से जुड़ता ही चला गया। आज वो मोकामा में छोटे सरकार के नाम से मशहूर हैं। इस नाम को अपने नाम करने के लिए अनंत ने अपराध की अनंत सफर तय किया। हत्या और अपराध की कई घटनाओं को अंजाम दिया। कहा जाता है कि अपराध का वह कोई काम नहीं है जिसके वे अभियुक्त नहीं है।
आस पास के लोग कहते हैं कि अनंत के कोर्ट में माफी नहीं सजा सुनाई जाती है। यह सजा मौत है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चार भाइयों में सबसे छोटे अनंत के परिवार की दुश्मनी अपने पट्टीदार (गोतिया) विवेका पहलवान से रही है। इस लड़ाई में दोनों तरफ से काफी खून बहा है। हालांकि अब दोनों में सुलह हो चुकी है, लेकिन चिंगारी अंदर ही अंदर सुलग रही है। मोकामा के टाल इलाके में इस दोनों की दुश्मनी की कई कहानियां चर्चित हैं।
अनंत सिंह की अपराध से जुड़ी कहानी में एक दिलचस्प कहानी एके-47 राइफल की भी है। उनको जानने वले कहते हैं कि
एक बार अनंत सिंह के गांव लदमा में पर जानलेवा हमला हुआ था। हमलावर ने उन पर एके-47 से गोलियां बरसाई गई थीं। इस हमले
में वे बुरी तरह से घायल हो गए थे। उनको जानने वाले कहते हैं कि अनंत सिंह को ट्रेन से पटना ले जाया गया था। वहां राजेंद्र नगर टर्मिनल पर जब कोई गाड़ी अनंत सिंह को अस्पताल ले जाने के लिए नहीं मिली तो उन्हें ठेले पर लादकर अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद उनकी जान बची थी। कहा जाता है कि इस घटना के बाद ही अनंत सिंह ने अपने जखीरों में कई एके-47 को शामिल कर लिया था।
अनंत सिंह के घर पर छापा मारकर पुलिस ने एक-47 राइफल और बुलेट प्रूफ जैकेट बरामद किया था। इस मामले में एक अदालत ने अनंत सिंह को 10 साल की सजा सुनाई थी। अनंत सिंह को जब सजा सुनाई गई तो वे मोकामा से वो विधायक थे। लेकिन जब वो सजायाफ्ता हो गए तो उनकी सदस्यता चली गई। यह वह वक्त था जब बिहार में नीतीश कुमार की ही सरकार थी। लेकिन अनंत सिंह को जेल जाना पड़ा। अगस्त 2024 में हाई कोर्ट से उन्हें इस मामले से बरी कर दिया। करीब छह साल बाद पटना की बेउर जेल से रिहा होने के बाद अनंत सिंह इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मोकामा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन इस बीच मोकामा के नौरंगा-जलालपुर गांव में हुई गोलीबारी में वो फिर जेल चले गए।
दरअसल यह वाक्या पटना के मोकामा प्रखंड के पचमहला थाना के अंतर्गत पड़ने वाली नौरंगा-जलालपुर गांव की है। शाम में तकरीबन साढ़े चार बजे बाहुबली अनंत सिंह, सोनू-मोनू नाम के दो भाइयों से मिलने गए थे। सोनू-मोनू का ईंट भट्ठा है। जिसमें मुकेश कुमार सिंह नाम के व्यक्ति मुंशी का काम करते थे। मुकेश सिंह हेमजा गांव के रहने वाले हैं। नौरंगा गांव से हेमजा गांव की दूरी तकरीबन एक किलोमीटर है।
सोनू-मोनू का मुकेश कुमार सिंह से पैसों को लेकर विवाद था। सोनू-मोनू के पिता प्रमोद सिंह का कना है कि “अनंत सिह के लोगों ने पहले गोली चलवाई। चूंकि हम लोगों ने नीलम देवी (अनंत सिंह की पत्नी) को चुनाव में मदद नहीं की थी इसलिए हम लोगों को उन्होंने निशाना बनाया।” बाढ़ के तत्कालीन एएसपी ने इस घटना के बाद मीडिया को बताया था कि इस गोलीबारी में 15 से 20 राउंड गोलियां चली थी। हालांकि स्थानीय स्तर पर ये दावा कम से कम 70 राउंड गोलियां चलने का किया जा रहा था। अनंत सिंह को मैदान छोड़कर हटना पड़ा था। इस मामले में दोनों तरफ से एफआईआर हुए और दोनों को जेल जाना पड़ा था। कुछ दिन पहले ही दोनों जेल से बाहर आए हैं।
जेल से कुछ दिन पहले ही अनंत सिंह बाहर आए। जेल से बाहर आने के बाद वे चुनाव प्रचार में लगे थे। इसी बीच गुरूवार को बिहार विधानसभा चुनाव के वोटिंग से से छह दिन पहले दुलारचंद यादव की हत्या हो गई। लालू यादव के करीबी रह चुके और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की मोकामा में हत्या ने बवाल मचा दिया है। इस हत्याकांड को लेकर मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह के समर्थकों पर हत्या के आरोप लगे हैं।
जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी का कहन है कि दुलारचंद चाचा गाड़ी में पीछे दाहिनी तरफ बैठे थे, उनका जब काफिला गुजरा तो उनसे गाली-गलौज की गई। उनका कॉलर पकड़े और कुर्ता फाड़ दिया. तब तक हमारे साथ वाली सिक्योरिटी भी आ गई, जिन्होंने उन्हें न्यूट्रिलाइज किया। यहां पर कुछ नहीं हुआ, लेकिन फिर जब गाड़ी आगे बढ़ी और हमारे कार्यकर्ताओं को उन लोगों ने पीटने लगे और गाड़ियों के शीशे तोड़े, मारपीट की और कार्यकर्ताओं से भिड़ गए। दोनों तरफ के लोगों को शांत कराने के लिए दुलारचंद की आगे आए, उसी दरम्यान समर्थकों ने पैर में गोली मारी और फिर उन पर गाड़ी चढ़ा दी। जिससे उनक मौत हो गई।
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दुलारचंद यादव का शुरुआती जीवन और पहचान मोकामा के टाल क्षेत्र में उनकी दबंगई और आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़ी है। 80 और 90 के दशक में, जब बिहार में बाहुबलियों का बोलबाला था, तब दुलारचंद यादव का इस क्षेत्र में अपना एकछत्र राज हुआ करता था। उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, रंगदारी और आर्म्स एक्ट सहित कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। 1991 के कांग्रेस नेता सीताराम सिंह हत्याकांड में भी उनका नाम आया, जिसने उनकी छवि “दबंग” की हो गई। अपनी दबंग छवि के बाद वे अपने समाज, खासकर यादव समुदाय के बीच एक मजबूत आधार बनाने में सफल थे।