तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव, फोटो - सोशल मीडिया
पटना : बिहार की सियासत में हलचल मचाने वाले लालू परिवार के अंदरूनी मतभेद क्या अब खत्म हो चुके हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लंबे समय से अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप यादव ने हाल ही में छोटे भाई तेजस्वी यादव की पोस्ट को न सिर्फ रीपोस्ट किया, बल्कि उसमें अपनी टिप्पणी जोड़ते हुए एनडीए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला भी बोला है।
तेज प्रताप यादव ने एक्स पोस्ट में लिखा, “बिहार में 20 वर्षों की एनडीए सरकार ने बेरोजगारी, गरीबी और पलायन का रिकॉर्ड कायम किया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग जैसे अहम क्षेत्रों में बिहार सबसे पिछड़ा राज्य बना हुआ है। कानून-व्यवस्था बद से बदतर है। प्रति व्यक्ति आय और निवेश दोनों ही मामलों में बिहार देश में सबसे नीचे है।”
तेज प्रताप यहीं नहीं रुके, उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी हर चुनावी वर्ष में बिहार का दौरा करते हैं और 2015 से चल रही अधूरी परियोजनाओं का बार-बार उद्घाटन और शिलान्यास करके जनता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह बिहार है, यहां के लोग अब झांसे में आने वाले नहीं हैं। उन्हें अच्छे से पता है कि कौन कितना झूठ बोल रहा है।”
बिहार में 20 वर्षों की एनडीए सरकार द्वारा दिया हुआ रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी, गरीबी और पलायन है। नीति आयोग के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग क्षेत्र में बिहार सबसे फिसड्डी है। विधि व्यवस्था सबसे बदतर है। बिहार की प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति निवेश देश में सबसे कम है। विकास… pic.twitter.com/SmCkMNoQlb — Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) May 30, 2025
इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी एक्स पर NDA सरकार के खिलाफ तीखा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “20 वर्षों की एनडीए सरकार के पास खुद के कामकाज का कोई ठोस हिसाब नहीं है। इसलिए वो 35 साल पुरानी सरकार के 15 साल का रोना रोते हैं। पहले अपने 20 साल का हिसाब जनता को दें।”
तेज प्रताप द्वारा तेजस्वी की पोस्ट को रीपोस्ट करना और उसमें खुद भी तीखी टिप्पणी जोड़ना इस ओर इशारा कर रहा है कि लालू परिवार में चल रही अंदरूनी कलह अब थमती नजर आ रही है। सियासी गलियारों में इसे लालू परिवार में ऑल इज वेल का संकेत माना जा रहा है।
हाल के दिनों में लालू यादव ने तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी से अलग कर दिया गया था। लेकिन इस नई रणनीति और एकजुटता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब बात एनडीए और भाजपा से मुकाबले की हो, तो यादव बंधु एक साथ खड़े हैं। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक एकता सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रहती है या आने वाले समय में इसका असर जमीनी राजनीति और विपक्ष की रणनीतियों पर भी दिखता है।