साल 1999, तारीख थी 3 जुलाई पटना में सुबह का वक्त एक लड़की रोज़ की तरह अपनी कंप्यूटर क्लास के लिए घर से निकली। वह कुछ ही दूर चली थी कि अचानक एक कार उसके पास आकर रुकी। पहले तो वह घबरा गई, लेकिन जैसे ही उसने कार चलाने वाले शख्स को देखा, उसकी चिंता दूर हो गईवो शख्स कोई अनजान नहीं, बल्कि परिचित था।लड़की बिना झिझके कार में बैठ गई। लेकिन कार क्लास की ओर न जाकर सीधे एक गेस्ट हाउस की तरफ मुड़ गई वाल्मीकि गेस्ट हाउस। यहीं से उस लड़की की ज़िंदगी एक खौफनाक मोड़ पर आ गई। जब लड़की के बॉयफ्रेंड गौतम सिंह को अनहोनी का शक हुआ, तो वह तेज़ी से गेस्ट हाउस पहुंचा। लेकिन वहां जो कुछ उसने देखा, वो उसके लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था। उसकी प्रेमिका कुछ लोगों के बीच फंसी थी, जो उसके साथ बेरहमी से छेड़छाड़ कर रहे थे। वह मदद के लिए चिल्ला रही थी।
साल 1999, तारीख थी 3 जुलाई पटना में सुबह का वक्त एक लड़की रोज़ की तरह अपनी कंप्यूटर क्लास के लिए घर से निकली। वह कुछ ही दूर चली थी कि अचानक एक कार उसके पास आकर रुकी। पहले तो वह घबरा गई, लेकिन जैसे ही उसने कार चलाने वाले शख्स को देखा, उसकी चिंता दूर हो गईवो शख्स कोई अनजान नहीं, बल्कि परिचित था।लड़की बिना झिझके कार में बैठ गई। लेकिन कार क्लास की ओर न जाकर सीधे एक गेस्ट हाउस की तरफ मुड़ गई वाल्मीकि गेस्ट हाउस। यहीं से उस लड़की की ज़िंदगी एक खौफनाक मोड़ पर आ गई। जब लड़की के बॉयफ्रेंड गौतम सिंह को अनहोनी का शक हुआ, तो वह तेज़ी से गेस्ट हाउस पहुंचा। लेकिन वहां जो कुछ उसने देखा, वो उसके लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था। उसकी प्रेमिका कुछ लोगों के बीच फंसी थी, जो उसके साथ बेरहमी से छेड़छाड़ कर रहे थे। वह मदद के लिए चिल्ला रही थी।