सोनपुर विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
Sonepur Vidhansabha Seat Details : बिहार की राजनीति में सोनपुर विधानसभा सीट का विशेष स्थान है। यह वही क्षेत्र है जिसने राज्य को दो मुख्यमंत्री दिए हैं। पहला नाम रामसुंदर दास और दूसरा नाम लालू प्रसाद यादव का है। 1977 में जेपी आंदोलन के बाद रामसुंदर दास यहां से जीतकर मुख्यमंत्री बने, जबकि 1980 में लालू प्रसाद यादव ने इसी सीट से विधानसभा में प्रवेश किया और बाद में मुख्यमंत्री बने।
सोनपुर की जनता राजनीतिक घटनाओं को लंबे समय तक याद रखती है। 1980 में लालू प्रसाद को जिताया जरूर गया, लेकिन जब उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया, तो जनता ने इसे विश्वासघात माना। 2010 में जनता ने इसका जवाब राबड़ी देवी को हराकर दिया। तब से राजद इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाया है, जिससे यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
सोनपुर विधानसभा क्षेत्र दक्षिण में गंगा और पूरब में गंडक नदी से घिरा है। यह क्षेत्र न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे ‘हरि और हर’ यानी विष्णु और शिव की भूमि माना जाता है। यहां स्थित हरिहरनाथ मंदिर और प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला इस क्षेत्र की पहचान हैं।
आस्था और परंपरा का संगम हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा और गंडक नदी के संगम पर आयोजित होने वाला सोनपुर पशु मेला एशिया के सबसे बड़े मेलों में से एक है। इसकी शुरुआत प्राचीन काल में मानी जाती है, जब चंद्रगुप्त मौर्य गंगा पार हाथी और घोड़े खरीदते थे। आज यह मेला पारंपरिक और आधुनिक गतिविधियों का मिश्रण बन चुका है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सरकारी प्रदर्शनी और व्यापारिक गतिविधियां शामिल होती हैं।
सोनपुर और हाजीपुर के बीच गंडक नदी की दूरी के बावजूद भाषाई अंतर स्पष्ट है। हाजीपुर में मैथिली और सोनपुर में भोजपुरी बोली जाती है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। यह भाषाई बदलाव राजनीतिक संवाद और जनसंपर्क में भी अहम भूमिका निभाता है।
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अब तक सोनपुर में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की, आखिरी बार 1972 में। राजद ने भी चार बार जीत हासिल की है, जिसमें 2015 और 2020 के चुनाव शामिल हैं। भाजपा, जनता दल और जनता पार्टी ने दो-दो बार जीत दर्ज की है, जबकि निर्दलीय, भाकपा और लोकदल ने एक-एक बार सफलता पाई है। यह विविधता दर्शाती है कि सोनपुर की जनता समय-समय पर राजनीतिक बदलाव को स्वीकार करती रही है।
2025 के विधानसभा चुनाव में सोनपुर एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए चुनौती और अवसर दोनों बनकर सामने आया है। राजद अपनी पुरानी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने की कोशिश में है, जबकि भाजपा और अन्य दल इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक पहचान और जनता की राजनीतिक चेतना इस बार के चुनाव को बेहद रोचक बना रही है।
सोनपुर विधानसभा सीट सिर्फ एक चुनावी क्षेत्र नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक चेतना का प्रतीक है। यहां की जनता न केवल नेताओं की नीतियों को परखती है, बल्कि उनके व्यवहार और वादों का भी हिसाब रखती है। 2025 में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन दल इस ऐतिहासिक सीट पर जीत का परचम लहराता है।