पातेपुर विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Patepur Assembly Constituency: बिहार के वैशाली जिले में स्थित पातेपुर विधानसभा क्षेत्र (Patepur Assembly Seat) अपने समृद्ध राजनीतिक इतिहास, कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित यह सीट, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच कड़ी टक्कर के कारण बिहार की सियासत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पातेपुर सीट का गठन 1951 में हुआ था और तब से इसने 19 चुनाव देखे हैं। इस सीट पर किसी भी एक दल का लंबे समय तक वर्चस्व नहीं रहा है, हालाँकि कांग्रेस, राजद और जनता दल ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है।
दिग्गजों का प्रभाव: प्रेमा चौधरी और महेंद्र बैठा जैसे नेताओं का इस सीट पर दबदबा रहा है।
डेढ़ दशक का संघर्ष: बीते डेढ़ दशक में यह सीट भाजपा और राजद के बीच बारी-बारी से जीती जाती रही है:
2010: भाजपा ने जीत दर्ज की।
2015: राजद ने वापसी की।
2020: भाजपा के लखेंद्र रौशन ने राजद के शिवचंद्र राम को हराकर सीट पर कब्ज़ा किया।
यह पलटी मारता जनादेश दर्शाता है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह सीट एक बार फिर बेहद संवेदनशील और हाई-वोल्टेज मुकाबला पेश करेगी।
पातेपुर एक आरक्षित सीट होने के बावजूद, यहाँ कई उप-जातियों के वोट निर्णायक होते हैं, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं:
बहुसंख्यक SC: रविदास और पासवान मतदाता यहाँ बहुसंख्यक हैं, और इन दोनों समूहों की राजनीतिक निष्ठा ही चुनाव परिणाम को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
अन्य OBC: कुर्मी और कोरी जैसे ओबीसी मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं, जिनका रुझान गठबंधन की किस्मत का फैसला करता है।
यह सीट मुख्य रूप से ग्रामीण है और यहाँ के मतदाता जातीय गोलबंदी के साथ-साथ स्थानीय विकास, सिंचाई और रोजगार के मुद्दों पर भी वोट करते हैं।
यह भी पढ़ें:- सरायरंजन विधानसभा: RJD बनाम JDU का रोमांचक संघर्ष, अरविंद कुमार सहनी के सामने वापसी की चुनौती
अर्थव्यवस्था: बूढ़ी गंडक और बाया नदियों के किनारे बसा यह क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है। धान, गेहूं और मक्का की खेती यहाँ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
श्रीराम-जानकी मंदिर: यह सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर रामानंदी संप्रदाय के संतों के लिए तीर्थस्थल है। हर रामनवमी पर यहाँ एक माह तक विशाल मेला आयोजित होता है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।
बाबा दरवेश्वरनाथ धाम: पातेपुर प्रखंड के डभैच्छ स्थित यह लगभग पाँच सौ साल पुराना धाम तिरहुत, सारण और कोशी प्रमंडल में धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, भाजपा के लखेंद्र रौशन को अपनी सीट बचाने और राजद के शिवचंद्र राम को अपनी पिछली हार का बदला लेने के लिए रविदास-पासवान मतदाताओं पर मजबूत पकड़ बनानी होगी।