
बिहार विधानसभा चुनाव (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए कल 18 जिले की 121 सीटों पर वोटिंग होने वाली है। लेकिन वोंटिंग से ठीक पहले यहां ऐसी उथल-पुथल मची मच गई है। कहीं, किसी पार्टी के उम्मीदवार ने चुनावी रण छोड़ दिया है तो कहीं, दिग्गज नेता ने पाला बदल लिया है। जिसके चलते नए समीकरण और रोचक हो गए हैं।
इस बार, बिहार के गौड़ाबौराम निर्वाचन क्षेत्र की एक विवादास्पद सीट पर मुकेश सहनी के भाई संतोष सहनी ने मैदान से हटकर राजद समर्थित उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की है। बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इस मुकाबले में, गठबंधनों ने आपसी सहमति के कारण कई निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों को नाम वापस लेने पर मजबूर किया है।
महागठबंधन और एनडीए दोनों ने “दोस्ताना मुकाबले” से बचते हुए सीट बंटवारे की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नाम वापस लेने का सहारा लिया। गौड़ाबौराम, जहानाबाद, मुंगेर, दानापुर, ब्रह्मपुर, गोपालगंज, मढ़ौरा, तारापुर, बक्सर, बाबूबरही और वारसलीगंज सहित 11 प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों ने अंतिम समय में नाम वापस ले लिया या उनके नामांकन खारिज कर दिए गए।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को तगड़ा नुकसान हुआ है। जहां गोपालगंज, दानापुर और ब्रह्मपुर से उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिए। गोपालगंज से शशि शेखर सिन्हा और ब्रह्मपुर से डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने आखिरी समय में अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए, जबकि दानापुर से अखिलेश कुमार अपना नामांकन ही दाखिल नहीं कर पाए।
इसके बाद चुनाव से ठीक एक दिन पहले मुंगेर सीट पर जनसुराज की उम्मीदवारी पर बड़ा संकट आ गया। पार्टी के उम्मीदवार संजय सिंह पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (एनडीए) में शामिल हो गए। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार कुमार प्रणय की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी को अपना समर्थन देने की घोषणा की। चुनाव से ठीक पहले उम्मीदवार का पार्टी छोड़ना पीके के संगठन की स्थिति पर सवाल खड़े करता है।
सारण जिले की मढ़ौरा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार और पूर्व अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन कागजी खामियों के कारण खारिज कर दिया गया। इससे एनडीए को बड़ा झटका लगा, क्योंकि उनका सीधा मुकाबला महागठबंधन से था। हालांकि, सीमा सिंह का नामांकन खारिज होने के बाद, निर्दलीय उम्मीदवार अंकित कुमार को समर्थन दिया गया, जिस पर भाजपा और एनडीए ने भी सहमति जताई।
मुंगेर में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया और राजद का समर्थन किया। जिले की तीन सीटों (मुंगेर, तारापुर और जमालपुर) से नामांकन वापस लेने के बाद, कुल 39 उम्मीदवार बचे। तारापुर में, एक निर्दलीय उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया और एनडीए को वोट देने की घोषणा की।
मधुबनी के बाबूबरही में वीआईपी के बिंदु गुलाब यादव ने राजद उम्मीदवार के समर्थन में अपना नाम वापस ले लिया। इसी तरह, नवादा के वारसलीगंज में, एक उम्मीदवार ने महागठबंधन के पक्ष में रुख अपनाया, जिससे गठबंधन मजबूत हुआ। दरभंगा की गौड़ाबौराम सीट पर भी यही स्थिति देखी गई।
दरभंगा जिले की गौड़ाबौराम विधानसभा सीट पर आरजेडी के अफजल अली को पार्टी ने निष्कासित कर दिया, इसके बावजूद भी उन्होंने चुनाव से अपना नाम वापस नहीं लिया। ये देखते हुए मंगलवार को मुकेश सहनी ने ऐलान कर दिया कि उनके भाई संतोष सहनी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
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वीआईपी मुखिया का कहना है कि अफजल अली और संतोष सहनी दोनों के चुनाव लड़ने से महागठबंधन के वोट बिखर जाएंगे। इसलिए हमारे भाई ने पीछे हटना उचित समझा है। वहीं, जहानाबाद में एक निर्दलीय ने अंतिम समय में हटने का फैसला किया। इसके साथ ही बक्सर में एनडीए को नुकसान न पहुंचे इसलिए अमरेन्द्र पांडेय ने भी चुनावी मैदान से पीछे हटने का फैसला लिया।






