
एमडीएम घोटाला। इमेज-एआई
Mid Day Meal Scam: बिहार में मध्याह्न भोजन (MDM) योजना को लेकर फिर बड़ा घोटाला सामने आया है। सीमांत और कोसी-सीमांचल क्षेत्र के 13 जिलों में बच्चों के हक का भोजन डकारने के आरोप में प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की तैयारी है। सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में हेडमास्टरों से 1 करोड़ 92 लाख 45 हजार 893 रुपये राशि की वसूली की जाएगी। यह कार्रवाई सरकारी धन के दुरुपयोग के चलते की जा रही, जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा है।
एमडीएम निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि अब किसी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दरअसल, जिन 13 जिलों में अनियमितता सामने आई है, उनमें भागलपुर, बांका, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और खगड़िया शामिल हैं। एमडीएम निदेशालय की जांच रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों में 4 करोड़ 54 लाख 24 हजार 104 रुपये की वसूली होनी थी।
अब तक सिर्फ 2 करोड़ 61 लाख 75 हजार 256 रुपये रिकवर किए जा सके हैं। 1.92 करोड़ रुपये बकाया हैं। एमडीएम योजना का उद्देश्य सरकारी स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। ताकि कुपोषण से लड़ाई के साथ स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति बढ़ाई जा सके। जांच में सामने आया कि कई जगहों पर प्रधानाध्यापकों और संबंधित अधिकारियों ने योजना में गंभीर गड़बड़ी की। सूत्रों के मुताबिक अनियमितताओं में चावल की हेराफेरी, छात्रों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, राशन सामग्री में गड़बड़ी और कई स्कूलों में एमडीएम का भोजन बनाए बिना राशि की निकासी जैसे मामले शामिल हैं।
सबसे अधिक बकाया राशि सहरसा और अररिया जिले में है। सहरसा में 51 लाख 35 हजार रुपये की वसूली होनी है। अररिया में 51 लाख 28 हजार 327 रुपये बकाया है। पूर्णिया में 47 लाख 51 हजार रुपये, मधेपुरा में 37 लाख 43 हजार रुपये और खगड़िया में 20 लाख 38 हजार रुपये की वसूली बाकी है। सबसे कम बकाया राशि सुपौल में है। यहां 3 लाख 54 हजार रुपये की वसूली तय है। कटिहार में 2 लाख 39 हजार, किशनगंज में 3 लाख 43 हजार, मुंगेर में 4 लाख 7 हजार, बांका में 4 लाख 25 हजार 509 रुपये, लखीसराय में 5 लाख 14 हजार रुपये और भागलपुर में 18 लाख 56 हजार की वसूली होनी है।
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भागलपुर जिले का मामला अधिक चर्चा में है। यहां 2014 से 2022 के बीच प्रधानाध्यापकों ने 30 लाख 93 हजार 477 रुपये का एमडीएम गबन किया है। जांच के बाद अब तक 12 लाख 36 हजार 971 रुपये की राशि तो रिकवर की गई है, लेकिन 18 लाख 56 हजार 506 रुपये बकाया हैं। यह राशि 54 प्रधानाध्यापकों की जिम्मेदारी के रूप में तय की गई है। वैसे, इन 54 प्रधानाध्यापकों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी के सामने अपील दाखिल कर खुद को निर्दोष बताया और राहत की मांग की है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामला सिर्फ वित्तीय अनियमितता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों के अधिकार और उनके पोषण से भी जुड़ा है। योजना में गड़बड़ी का सीधा असर गरीब और वंचित तबके के बच्चों पर पड़ता है। यही वजह है कि निदेशालय अब पूरी सख्ती के मूड में है। मध्याह्न भोजन निदेशक विनायक मिश्रा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 36 जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ), डीपीओ (एमडीएम) और स्थापना शाखा को पत्र जारी किया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि शत-प्रतिशत वसूली सुनिश्चित की जाए और जो राशि रिकवर की जा चुकी है, उसे अविलंब एमआईएस पोर्टल पर अपडेट किया जाए। निदेशालय ने चेतावनी दी है कि आगे किसी भी तरह की ढिलाई सामने आने पर संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।






