बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (फाइल फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनावों में विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है। गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध अब ‘फ्रेंडली मैच’ के रूप में सामने आ रहा है। गठबंधन के कई प्रमुख नेताओं ने स्वीकार किया है कि वैशाली, लालगंज, कहलगांव, राजापाकर और रोहसड़ा जैसी सीटों पर कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे। वहीं, बछवाड़ा सीट पर कांग्रेस का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के प्रत्याशी से होगा, जो ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर रहा है।
कांग्रेस ने बिहार विधानसभा की 61 सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति जताई है, जो पिछली बार लड़ी गई सीटों से नौ कम है। हालांकि, इन 61 सीटों में से कई पर सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं। सोमवार को बिहार में विपक्षी गठबंधन के एक नेता ने इस बात की पुष्टि की कि कुछ सीटों पर सहयोगी दलों के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा।
कांग्रेस की सीटों पर सहमति से पहले, प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद ने सोमवार को अपनी 143 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी। राजद की इस घोषणा से कुढ़नी सीट पर जारी अटकलों पर विराम लग गया। पहले यह माना जा रहा था कि राजद शायद इस सीट पर बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम के ख़िलाफ़ उम्मीदवार उतार सकता है, जिससे दोनों दलों के बीच सीधा टकराव होता।
सीट बँटवारे के मसले पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मीडिया से बातचीत में ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों से अपनी ‘मजबूरियों’ को समझने का आग्रह किया। तिवारी ने कहा कि राजद एक ऐसी पार्टी है जो सिर्फ़ बिहार और इसके आस-पास के राज्यों में चुनाव लड़ती है। हम दक्षिणी या अन्य राज्यों में अपने सहयोगी से सीट नहीं मांगते। हम बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है, इसलिए यहाँ हमें सबसे अधिक सीट पर चुनाव लड़ने का अधिकार है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ सीटों पर कांग्रेस, राजद और भाकपा के उम्मीदवार आमने-सामने होंगे, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस से अनुरोध किया कि वह उन सीटों पर अपने उम्मीदवार वापस ले ले।
उधर, कांग्रेस के भीतर भी टिकट बँटवारे को लेकर असंतोष खुलकर सामने आया है। नाम न बताने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के चुनावी आकलन पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि हमारा शीर्ष नेतृत्व चुनावी हालात का आकलन करने में विफल रहा और कई ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दे दिया जो इसके लायक नहीं थे।
वरिष्ठ नेता ने बगसीचा विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए बताया कि 2020 के चुनाव में महज़ 200 से कम वोटों के अंतर से हारने वाले गजानंद शाही को इस बार टिकट नहीं दिया गया, जबकि इस बार पूर्व विधायक अमित कुमार टुन्ना (रेगा) और जयेश मंगलम सिंह (बगहा) जैसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, जो पिछली बार 25,000 से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। यह विरोधाभास कांग्रेस की टिकट चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने भी पार्टी के प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा था, “उम्मीदवार चयन में कोई सम्मान मानदंड दिखायी नहीं देता।”
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में होंगे – 6 और 11 नवंबर को। मतगणना 14 नवंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर को समाप्त हो चुकी है, जबकि दूसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि सोमवार को समाप्त हुई।
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‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर सहयोगी दलों के बीच इस तरह का ‘फ़्रेंडली मैच’ न केवल गठबंधन की चुनावी रणनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि मतदाताओं के बीच भी एक भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चुनाव तक कांग्रेस, राजद और भाकपा कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों को वापस लेने पर सहमत हो पाते हैं या नहीं।