जमालपुर विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Jamalpur Assembly Constituency: बिहार के मुंगेर जिले में स्थित जमालपुर विधानसभा क्षेत्र अपनी राजनीतिक विविधता, ब्रिटिशकालीन लोकोमोटिव वर्कशॉप और शांत प्राकृतिक वातावरण के लिए जाना जाता है। मुंगेर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक यह सीट बदलते राजनीतिक रुझानों की एक अनूठी कहानी पेश करती है, जहाँ कांग्रेस ने 58 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद 2020 में जीत दर्ज कर वापसी की है।
जुड़वां शहर: मुंगेर से मात्र 9 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर बसा जमालपुर, मुंगेर का जुड़वां शहर कहलाता है।
आर्थिक रीढ़: 1862 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित प्रसिद्ध लोकोमोटिव वर्कशॉप आज भी जमालपुर की पहचान और अर्थव्यवस्था का केंद्र है। भारतीय यांत्रिक एवं विद्युत अभियांत्रिकी संस्थान ने इसे तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बनाया है।
सांस्कृतिक धरोहर: जमालपुर पहाड़ी पर स्थित काली पहाड़ और मां यमला काली मंदिर (जो महाभारत काल से जुड़े हैं) इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं।
1951 में स्थापित इस सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें किसी एक दल का प्रभुत्व नहीं रहा है, जो यहाँ के मतदाताओं की खुली सोच को दर्शाता है:
कांग्रेस 4 बार 2020 की जीत 58 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आई।
जदयू 4 बार 2005 से 2020 तक लगातार कब्जा रहा, जो इसकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
अन्य 9 बार जनता पार्टी, भाकपा, भाजपा (जनसंघ), राजद समेत कई दलों ने जीत दर्ज की।
2025 के विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस के सामने अपनी 58 साल बाद मिली इस सीट को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि जदयू ने यहाँ लगातार चार बार जीत दर्ज कर अपना मजबूत आधार स्थापित किया था।
यह सीट मुख्य रूप से जदयू/एनडीए और राजद-कांग्रेस गठबंधन के बीच लड़ी जाती है।
निर्णायक वोटर्स: जमालपुर में यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और ब्राह्मण समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। रेलवे वर्कशॉप से जुड़े कर्मियों के वोट भी यहाँ महत्वपूर्ण होते हैं।
राजद की अप्रत्यक्ष भूमिका: कांग्रेस की जीत में अक्सर राजद के पारंपरिक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक का समर्थन निर्णायक होता है।
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JDU/BJP की चुनौती: एनडीए (JDU/BJP) गठबंधन को अपनी पिछली चार जीतों की लय वापस पाने के लिए स्थानीय विकास, रेलवे वर्कशॉप से जुड़े रोजगार के मुद्दे और अन्य पिछड़ी जातियों को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
यह चुनाव एक बार फिर इस बात का फैसला करेगा कि जमालपुर की जनता स्थानीय नेतृत्व को तरजीह देगी या बढ़ते राष्ट्रीय राजनीतिक ध्रुवीकरण के तहत अपना मत देगी।